झारखंड के सरायकेला जिला पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि वह बीजेपी के मुख्य कार्यकर्ता हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एक बांग्लादेशी घुसपैठिया (नजमुल हवलदार) रिहा होता है तो दुमका में 27 फरवरी को जोरदार आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दुमका की जमीन पर उसे पैर रखने नहीं दिया जाएगा.
'बहू-बेटियों की अस्मत से खेलने की इजाजत नहीं दे सकते'
एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "बांग्लादेशी घुसपैठिए को दुमका जेल से रिहा करने के विरोध में आदिवासी समाज खड़ा हो गया है. प्रमुख सामाजिक संगठन 'आदिवासी सांवता सुशार अखाड़ा' ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि वीर शहीदों की धरती पर घुसपैठियों को कदम नहीं रखने दिया जाएगा. आदिवासियों के विरोध का आयोजन अखाड़ा के प्रमंडलीय संयोजक चंद्रमोहन हांसदा द्वारा किया जा रहा है और इसकी सूचना मुझे दे दी गई है. जिस वीर भूमि की रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया, वहां हम घुसपैठियों को समाज की जमीन लूटने और हमारी बहू-बेटियों की अस्मत से खेलने की इजाजत नहीं दे सकते. हम प्रशासन से मांग करते हैं कि जेल से रिहाई के साथ ही इस घुसपैठिए को किसी वाहन द्वारा सीधे संथाल-परगना से बाहर भेजने की व्यवस्था की जाए."
'हमारे सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ रहे'
चंपाई सोरेन ने आगे कहा कि जिस वीर भूमि पर सिदो-कान्हू और बाबा तिलका मांझी ने अपने साहस से ब्रिटिश प्रशासन को झुका दिया था, वहां इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. देश के बाहर से आए इन लोगों ने हमारे समाज की जमीनों पर अवैध कब्जा किया है और हमारे सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ रहे हैं.
क्या है आदिवासी सांवता सुशार अखाड़ा?
'आदिवासी सांवता सुशार अखाड़ा' आदिवासियों के हितों और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कार्यरत एक सामाजिक संगठन है, जो झारखंड में आदिवासियों की घटती जनसंख्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बढ़ते हस्तक्षेप के मुद्दे को मुखरता से उठा रहा है. यह संगठन आदिवासी समाज के अस्तित्व और उनकी गौरवशाली संस्कृति की रक्षा हेतु झारखंड की धरती से एक बार फिर "हूल" करने के लिए प्रयासरत है.
क्या इस प्रदर्शन को बीजेपी का समर्थन प्राप्त है?
जब एबीपी न्यूज़ ने पूर्व मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या इस प्रदर्शन को भारतीय जनता पार्टी का समर्थन प्राप्त है, तो उन्होंने जवाब दिया, "भारतीय जनता पार्टी के हम मुख्य कार्यकर्ता हैं. यह एक गैर-राजनीतिक (नॉन-पॉलिटिकल) प्रदर्शन है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ कदम से कदम मिलाकर लड़ने को तैयार है."
जब उनसे पूछा गया कि आंदोलन में उनकी मौजूदगी से कितना प्रभाव पड़ेगा, तो उन्होंने कहा कि "आंदोलन तोल-मोल करके नहीं किया जाता. यह अखाड़ा द्वारा आयोजित किया गया है, लेकिन इसका लक्ष्य बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत की जमीन से दूर करना है ताकि आदिवासियों का हक लूटने से बच सके."
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