Gangster Aman Sahu Encounter: गैंगस्टर अमन साहू को पुलिस ने 11 मार्च को पलामू में एनकाउंटर में मार गिराया. उसकी मौत की सूचना के बाद से घर में मातम छाया हुआ है और रांची के बुढ़मू स्थित मतबे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. माता-पिता अमन की मौत की खबर सुनकर बेसुध हो गए. मां को रिश्तेदारों और गांव वालों ने संभाला हुआ है. बेटे की मौत के बाद पिता निरंजन साहू स्तब्ध है और चुप्पी साध ली है. वो गांव में ही एक किराने की दुकान चलाते हैं. अमन के मारे जाने के मामले में माता-पिता और रिश्तेदारों ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.


अमन साहू का बचपन पतरातू में बीता था. सालों पहले अमन के पिता बुढ़मू स्थित मतबे गांव में आकर बस गए थे. अमन के दादा खेती-बाड़ी किया करते थे. अमन का एक भाई नौकरी करता है, जबकि दूसरा भाई आकाश साहू टेरर फंडिंग के मामले में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद है. आकाश साहू ने अपने भाई अमन साहू के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए औपबंधित जमानत की याचिका एनआईए के विशेष कोर्ट में दाखिल की है.


अमन साहू कैसे बना झारखंड का सबसे बड़ा गैंगस्टर?
अक्टूबर 2024 से रायपुर के सेंट्रल जेल में बंद अमन साहू जेल के अंदर से ही अपने गैंग को चला रहा था. वहीं से रंगदारी और वसूली का अवैध धंधा चला रहा था. रायपुर पुलिस उसे दो मामलों में ट्रांजिट रिमांड में लेकर रांची से रायपुर गई थी. एक केस में उसे कोर्ट में पेश होना था और रांची के बिरसा मुंडा जेल में उसे शिफ्ट करना था. इसी दौरान पलामू के चैनपुर-रामगढ़ मार्ग पर अन्हारी ढोड़ा के पास पुलिस की गिरफ्तर से भागने की कोशिश करते हुए वो एनकांउटर में ढ़ेर हो गया. 


2019 में थाने से भाग गया था अमन साहू
इंटर में पढ़ाई करने के बाद ही अमन साहू गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव और भोला पांडेय गिरोह के संपर्क में आ गया था और अपराध की दुनिया में उसने इस दौरान ही एंट्री ले ली. अमन ने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, मोहाली से कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा किया था. उसने अपराधी कौलेश्वर गंझू के इशारे पर अपने साथियों के साथ मिलकर सितंबर 2012 में रामगढ़ के बर्नपुर सीमेंट फैक्ट्री गोलीबारी की थी. हालांकि, पतरातू पुलिस ने उसे दूसरी दिन ही तीन साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया था और जेल भेज दिया था. 


जेल में रहने के दौरान ही उसने अपना गैंग खड़ा कर लिया और धीरे-धीरे वो अपराध के दलदल में फंसता चला गया. साल 2018 में उसे आर्म्स एक्ट में फिर से गिरफ्तार किया गया जिसमें उसे छह महीने की सजा हुई. 20 मई 2019 को जमानत पर हजारीबाग जेल से छूटने के बाद ही जेल गेट पर रामगढ़ की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. अमन साहू को पुलिस बड़कागांव थाने लेकर आई जहां वो वेंटिलेटर तोड़कर फरार हो गया और नेपाल चला गया. 


फरार रहने के दौरान ही अमन साहू गैंगस्टर सुजीत सिन्हा के जरिये 2019 में मयंक सिंह के संपर्क में आया. सुजीत सिन्हा के कहने पर ही मयंक सिंह कारोबारियों को रंगदारी के लिए फोन कर धमकाने लगा. अमन पहली बार बाहर अक्टूबर 2019 में भागलपुर में मयंक सिंह से मिला था. जुलाई 2020 में उसे फिर से गिरफ्तार किया गया तब से वो जेल के अंदर ही था और वही से अपना गैंग चला रहा था. इसके बाद मयंक सिंह गिरोह का पूरा काम देखने लगा और जेल से ही अमन जंगी ऐप के माध्यम से वर्चुअल आइडी के माध्यम से मयंक सिंह से संपर्क करता था.इसी दौरान वो गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई के संपर्क में आया. अमन साहू खुद को अंडरवर्ल्ड का सबसे बड़ा डॉन बनाना चाह रहा था कि लॉरेंस विश्नोई के लिए गुर्गे की संप्लाई भी करने लगा.


जेल सुपरिटेंडेंट से भी मांगी थी रंगदारी, चार साल में 10 जेल में किया गया था शिफ्ट
लॉरेंस बिश्नोई से तालमेल के चलते अपराध जगत में अमन साहू की धाक और बढ़ने लगी. पुलिस महकमे के लिए वो सिरदर्द बनता गया. जेल में रहने के दौरान ही वो मयंक सिंह के माध्यम से हजारीबाग, रामगढ़, चतरा , लातेहार के ठेकेदारों से रंगदारी मांगता था. जेल में रहने के दौरान उसने जेल सुपरिटेंडेंट हिमानी प्रिया और उसके परिजनों को जान से मारने की धमकी दी थी. 


जेल सुपरिंटेंडेंट के घर की करवाई थी रेकी
साल 2022 में उसने जेल सुपरिंटेंडेंट अनिमेष चौधरी और जेलर प्रमोद कुमार को न सिर्फ जान से मारने की धमकी दी बल्कि जेल सुपरिटेंडेंट अनिमेष चौधरी से दो करोड़ रुपये की रंगदारी भी मांगी. जेल के अंदर दबदबा बनाने के लिए उसने जेल के अंदर जेलर पर हमला भी कराया था. 20 जून 2024 को उसे गिरिडीह केंद्रीय कारागार लाया गया, जहां उसने जेल में सुविधाएं नहीं मिलने पर जेल सुपरिटेंडेंट हिमानी प्रिया को जान से मारने की धमकी दी. उनके परिवार पर हमला कराने के लिए देवघर स्थित उनके ससुराल की रेकी भी करवाई थी. 


इसके बाद उसे गिरिडीह से 21 जुलाई को चाईबासा जेल शिफ्ट किया गया था. पिछले चार साल में अमन साहू को 10 अलग-अलग जेलों में रखा जा चुका था. 29 अक्टूबर 2021 को उसे रांची से पाकुड़ जेल भेजा गया. 13 अप्रैल 2022 को उसे पाकुड़ से गिरिडीह जेल शिफ्ट किया गया. 23 जुलाई 2022 को अमन साहू को गिरिडीह से सिमडेगा जेल लाया गया. 17 सितंबर 2022 को उसे सिमडेगा से पलामू सेंट्रल जेल लाया गया. 24 नवंबर 2022 को उसे पलामू से दुमका जेल में शिफ्ट किया गया. 


भागने की फिराक में था अमन सोहू, पुलिस ने चलाई गोली
19 अगस्त 2023 को अमन को दुमका से चाईबासा जेल लाया गया. 11 अक्टूबर 2023 को उसे चाईबासा जेल से पलामू जेल भेजा गया. 20 जून 2024 को उसे पलामू से गिरिडीह जेल लाया था फिर जेल सुपरिंटेंडेंट को धमकी दिये जाने के बाद 21 जुलाई को उसे गिरिडीह से चाईबासा जेल फिर से शिफ्ट किया गया. इसके बाद 13 अक्टूबर 2024 को उसे चाईबासा से रायपुर जेल ट्रांजिट रिमांड पर भेजा गया था और रायपुर से रांची आने के दौरान भागने के फिराक में लगे अमन साहू को एनकांउटर में मार गिराया गया.