Hemant Soren Resigns: परिवार में नहीं आने दी 'दरार', गिरफ्तारी के बाद भी दबदबा बरकरार? समझें हेमंत सोरेन की पॉलिटिक्स
Hemant Soren News: हेमंत सोरेन ऐसे नेता को सीएम बनाना चाहते थे जो उनका विश्वासपात्र हो. सूत्रों की मानें तो सबसे पहले उनके दिमाग में पत्नी कल्पना सोरेन का नाम सामने आया.
Jharkhand Politics: चंपई सोरेन झारखंड के नए सीएम होंगे. राज्य की सियासत में ये नाम किसी परिचय को मोहताज नहीं है. लोग उन्हें 'झारखंड टाइगर' के नाम से बुलाते हैं. लेकिन चंपई सोरेन का नाम यूं ही नहीं तय किया गया. इसके पीछे की पूरी सियासी कहानी को समझना जरूरी है. बात तब शुरू होती है जब हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की भूमिका बनने लगती है. महागठबंधन में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी कि हेमंत सोरेन के बाद राज्य की कमान कौन संभालेगा. इसके लिए विधायकों ने हेमंत सोरेन को ही अधिकृत किया कि वो ही अगले सीएम पर फैसला लेंगे. विधायकों ने कहा था कि वो जिस भी नाम को चुनेंगे उस पर सब राजी हो जाएंगे. लेकिन पूरी तरह से ऐसा हुआ नहीं. सिक्के के दो पहलू को जानना भी जरूरी है.
दरअसल, हेमंत सोरेन ऐसे नेता को सीएम बनाना चाहते थे जो उनका विश्वासपात्र हो. सूत्रों की मानें तो सबसे पहले उनके दिमाग में पत्नी कल्पना सोरेन का नाम सामने आया. अंदरखाने में इसकी चर्चा भी हुई लेकिन परिवार के लोगों ने ही इस नाम पर आपत्ति जता दी. सूत्रों के मुताबिक, हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन और छोटे भाई बसंत सोरेन, जो दोनों ही जेएमएम के विधायक हैं, वे कल्पना सोरेन के नाम पर सहमत नहीं थे.
यह एक विराम है
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) January 31, 2024
जीवन महासंग्राम है
हर पल लड़ा हूं, हर पल लड़ूंगा
पर समझौते की भीख मैं लूंगा नहीं
क्या हार में, क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान, बने रहो
अपने लोगों के हृदय की वेदना
मैं व्यर्थ त्यागूंगा नहीं
हार मानूंगा नहीं...
जय झारखण्ड! pic.twitter.com/oduWMRGOmQ
हेमंत सोरेन के सामने थी ये चुनौती
अब हेमंत सोरेन के सामने ये चुनौती थी कि वो कोई ऐसा फैसला लें जिससे परिवार भी नाराज न हो और विश्वासपात्र व्यक्ति ही राज्य की कमान संभालें. सीता सोरेन और बसंत सोरेन की 'आपत्ति' के बाद ही झारखंड की सियासत की रेस में चंपई सोरेन का नाम सबसे ऊपर आ गया.
शिबू सोरेन को अपना राजनीतिक आदर्श मानते हैं चंपई सोरेन
चंपई सोरेन शिबू सोरेन को अपना राजनीतिक आदर्श मानते हैं. वो हेमंत सोरेन के भी बेहद करीबी हैं. यहां तक ही हेमंत सोरेन को कोई बार उनके पैर छूते देखा गया. जब चंपई सोरेन के नाम का प्रस्ताव रखा गया, सभी विधायक इस पर राजी हो गए. आदिवासी समुदाय के शख्स की जगह एक दूसरे दिग्गज आदिवासी नेता के नाम पर सहमति बन गई. इस तरह से हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले परिवार में भी 'दरार' नहीं आने दी और विश्वासपात्र को ही राज्य की कमान सौंप दी. माना जाता है कि सरकार चलाने के दौरान चंपई सोरेन कोई भी ऐसा फैसला नहीं लेंगे जो सोरेन परिवार या फिर हेमंत सोरेन की 'पॉलिटिक्स' में फिट नहीं बैठता हो.
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