Jharkhand Politics: चंपई सोरेन झारखंड के नए सीएम होंगे. राज्य की सियासत में ये नाम किसी परिचय को मोहताज नहीं है. लोग उन्हें 'झारखंड टाइगर' के नाम से बुलाते हैं. लेकिन चंपई सोरेन का नाम यूं ही नहीं तय किया गया. इसके पीछे की पूरी सियासी कहानी को समझना जरूरी है. बात तब शुरू होती है जब हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की भूमिका बनने लगती है. महागठबंधन में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी कि हेमंत सोरेन के बाद राज्य की कमान कौन संभालेगा. इसके लिए विधायकों ने हेमंत सोरेन को ही अधिकृत किया कि वो ही अगले सीएम पर फैसला लेंगे. विधायकों ने कहा था कि वो जिस भी नाम को चुनेंगे उस पर सब राजी हो जाएंगे. लेकिन पूरी तरह से ऐसा हुआ नहीं. सिक्के के दो पहलू को जानना भी जरूरी है.


दरअसल, हेमंत सोरेन ऐसे नेता को सीएम बनाना चाहते थे जो उनका विश्वासपात्र हो. सूत्रों की मानें तो सबसे पहले उनके दिमाग में पत्नी कल्पना सोरेन का नाम सामने आया. अंदरखाने में इसकी चर्चा भी हुई लेकिन परिवार के लोगों ने ही इस नाम पर आपत्ति  जता दी. सूत्रों के मुताबिक, हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन और छोटे भाई बसंत सोरेन, जो दोनों ही जेएमएम के विधायक हैं, वे कल्पना सोरेन के नाम पर सहमत नहीं थे.






हेमंत सोरेन के सामने थी ये चुनौती


अब हेमंत सोरेन के सामने ये चुनौती थी कि वो कोई ऐसा फैसला लें जिससे परिवार भी नाराज न हो और विश्वासपात्र व्यक्ति ही राज्य की कमान संभालें. सीता सोरेन और बसंत सोरेन की 'आपत्ति' के बाद ही झारखंड की सियासत की रेस में चंपई सोरेन का नाम सबसे ऊपर आ गया. 


शिबू सोरेन को अपना राजनीतिक आदर्श मानते हैं चंपई सोरेन


चंपई सोरेन शिबू सोरेन को अपना राजनीतिक आदर्श मानते हैं. वो हेमंत सोरेन के भी बेहद करीबी हैं. यहां तक ही हेमंत सोरेन को कोई बार उनके पैर छूते देखा गया. जब चंपई सोरेन के नाम का प्रस्ताव रखा गया, सभी विधायक इस पर राजी हो गए. आदिवासी समुदाय के शख्स की जगह एक दूसरे दिग्गज आदिवासी नेता के नाम पर सहमति बन गई. इस तरह से हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले परिवार में भी 'दरार' नहीं आने दी और विश्वासपात्र को ही राज्य की कमान सौंप दी. माना जाता है कि सरकार चलाने के दौरान चंपई सोरेन कोई भी ऐसा फैसला नहीं लेंगे जो सोरेन परिवार या फिर हेमंत सोरेन की 'पॉलिटिक्स' में फिट नहीं बैठता हो.


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