बागी होने के बावजूद चंपाई सोरेन पर JMM ने क्यों नहीं लिया एक्शन? समझें हेमंत सोरेन की मजबूरी
Champai Soren: चंपाई सोरेन कोल्हान क्षेत्र के आदिवासी वोट बैंक में मजबूत प्रभाव रखते हैं. बीजेपी चंपाई सोरेन के माध्यम से कोल्हान में अपना प्रभाव बढ़ाना और आदिवासी समुदाय को साधना चाहती है.
Champai Soren News: झारखंड विधानसभा से पहले राज्य में चल रही बड़ी सियासी हलचल बीजेपी के लिए फायदेमंद तो सत्तारूढ़ पार्टी JMM के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. चंपाई सोरेन का बीजेपी में जाने का फैसला JMM के लिए टेंशन की स्थिति खड़ी करता दिख रहा है क्योंकि चंपाई के जरिए हेमंत सोरेन के लिए झारखंड का आदिवासी वोट बैंक साधना आसान था, लेकिन अब ये काम मुश्किल हो सकता है.
अब सवाल ये उठता है कि चंपाई सोरेन लंबे वक्त से बगावती सुर छेड़ रहे हैं, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी ने न तो उन्हें मंत्रिमंडल पद से हटाया और न ही निष्कासन या किसी और तरह की कार्रवाई की. इसकी क्या वजह हो सकती है? JMM के इस फैसले को इस तरह से भी देखा जा सकता है कि चंपाई सोरेन कोल्हान क्षेत्र के बड़े नेता हैं और इस रीजन की 14 सीटों पर पावर रखते हैं. उन्हें और नाराज करने JMM के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
कोल्हान के नायक हैं चंपाई सोरेन
एक ओर बीजेपी के पास बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा जैसे बड़े आदिवासी चेहरे हैं, फिर भी कोल्हान रीजन में खासा प्रभाव नहीं डाल पाते. कोल्हान क्षेत्र स्थानीय नायक बनाने और उनके साथ खड़े रहने के लिए प्रसिद्ध है और फिलहाल यहां के प्रमुख चेहरे चंपाई सोरेन हैं. इतना ही नहीं, JMM के संस्थापक और सीएम हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन को भी यहां के स्थानीय नेताओं से विरोध का सामना करना पड़ा था.
चंपाई सोरेन को कोल्हान की जनता पसंद करती है क्योंकि उन्होंने यहां के युवाओं को टाटा स्टील कंपनी और अन्य संस्थाओं में नौकरियां दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई. इसके अलावा, कोल्हान के स्थानीय मुद्दों को भी प्रमुखता से उठाते हुए उन्हें समाधान तक पहुंचाया.
चंपाई सोरेन के जरिए बीजेपी का डैमेज कंट्रोल
ऐसे में अब बीजेपी चंपाई सोरेन के शामिल होने से बड़े फायदे की उम्मीद कर रही है. बीजेपी आलाकमान का मानना है कि चंपाई सोरेन के आने से बीजेपी का उस कोल्हान क्षेत्र में दबदबा बन जाएगा, जहां पार्टी के पास एक सीट भी नहीं है. वहीं, हेमंत सोरेन के ईडी अरेस्ट के बाद बीजेपी पर आदिवासियों के खिलाफ नाइंसाफी के आरोप भी लगे, जिसकी वजह से कोल्हान क्षेत्र में बीजेपी के प्रति नाराजगी बढ़ गई. इसका खामियाजा बीजेपी को लोकसभा चुनाव में झेलना पड़ा. ऐसे में अब चंपाई सोरेन के जरिए बीजेपी ये डैमेज कंट्रोल भी करना चाहती है.
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