Jharkhand Specisl Assembly Session: झारखंड (Jharkhand) में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार सोमवार को झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) के विशेष सत्र में विश्वास प्रस्ताव पेश करेगी. सदन में सत्ताधारी गठबंधन झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस (Congress) और राजद के पास जो संख्याबल है, उसके मुताबिक ये माना जा रहा है कि सरकार को आसानी से विश्वास मत हासिल हो जाएगा. 81 सदस्यों वाली विधानसभा में झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद का एक सदस्य है. इसके अलावा भाकपा माले और राष्ट्रवादी कांग्रेस के एक-एक विधायकों का भी सरकार को समर्थन हासिल है. 


सरकार के सामने नहीं है संकट 
कांग्रेस के 3 विधायक पिछले दिनों कोलकाता में कैश के साथ पकड़े गये थे. उन्हें जमानत तो मिली है, लेकिन कोलकाता के बाहर जाने की इजाजत नहीं है. इस स्थिति में वे सत्र में उपस्थित नहीं हो पाएंगे. इन्हें माइनस करने के बाद भी सदन में सत्ताधारी गठबंधन और उन्हें समर्थन देने वाले विधायकों का संख्या बल 48 होता है, जबकि विश्वास मत के लिए न्यूनतम 42 विधायकों की जरूरत है. इस लिहाज से फिलहाल सरकार के विश्वास मत की राह में कोई परेशानी नहीं दिख रही है.


विधायकों की हुई वापसी 
विधायकों को एकजुट रखने के लिए बीते 30 सितंबर से ही उन्हें रायपुर के एक रिसॉर्ट में रखा गया था. रविवार शाम ये विधायक विशेष विमान से रांची लाए गए. सभी विधायकों ने रांची के सर्किट हाउस में रात्रि विश्राम किया. सोमवार की सुबह सभी विधायक 2 बसों में एक साथ विधानसभा जाने के लिए निकले हैं.


खुद के लिए विश्वास मत प्रस्ताव पेश करेगी सरकार 
झारखंड में ये पहली बार है, जब कोई सरकार खुद के लिए विश्वास मत प्रस्ताव पेश करने जा रही है. सदन की कार्यवाही 11 बजे शुरू होगी. विधानसभा के प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर ने सदन की कार्यवाही के बारे में जो सूचना जारी की है, उसके मुताबिक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन प्रस्ताव पेश करेंगे कि विधानसभा वर्तमान मंत्रिपरिषद में विश्वास व्यक्त करेगी. सरकार के भविष्य को लेकर जताई जा रही आशंकाओं के मद्देनजर इसे महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम माना जा रहा है.


बीजेपी करेगी विरोध 
गौरतलब है कि, चुनाव आयोग ने 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' मामले में हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खत्म करने का मंतव्य झारखंड के राज्यपाल को भेजा है. हालांकि, 11 दिनों के बाद भी राज्यपाल की ओर से इस संबंध में कोई आदेश सार्वजनिक नहीं किया गया है. अब विश्वास मत के जरिए सरकार ये संदेश देना चाहती है कि विधानसभा में उसे पूर्ण बहुमत प्राप्त है, इसलिए मुख्यमंत्री को विधानसभा सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किए जाने की स्थिति में भी गठबंधन की सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल है. इधर, भारतीय जनता पार्टी ने सदन में विश्वास मत का विरोध करने का निर्णय लिया है. 


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