Bokaro: झारखंड सरकार के शिक्षा सह उत्पाद एवं मद्द निषेध मंत्री जगरनाथ महतो (Jagarnath Mahto) के निधन पर उनके पैतृक गांव भंडारीडीह (Bhandaridih Village) में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है.  जैसे ही लोगों को सूचना मिली कि मंत्री जगरनाथ महतो अब दुनिया में नहीं रहे, वैसे ही स्वजन और शुभचिंतकों का जमावड़ा लगने लगा. जगरनाथ महतो के निधन से बोकारो में चारों तरफ मायूसी फैल गई है. उनके कार्यकर्ता समर्थकों को जैसे ही निधन की खबर मिली मंत्री जगन्नाथ महतो के भण्डारीदह स्थित पैतृक गांव अलारगो में उनके आवास पर श्रद्धांजलि देने के लिए जमा हो रहे हैं.


1932 नंबर से था खास कनेक्शन


इसी कड़ी में गोमिया विधायक डॉ लम्बोदर महतो ने अपने आवासीय कार्यालय में शोक सभा कर श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि दिवंगत मंत्री जगरनाथ महतो का जाना व्यक्तिगत के साथ झारखंड की भी राजनीतिक क्षति हुई है. उनके निधन के बाद हम अभिभावक विहीन हो गये हैं. झारखंड आंदोलन के साथ उनकी राजनीतिक सफर से ही हमेशा झारखंड और झारखंडियों के हित में राजनीति की है. सरकार में रहकर भी उन्होंने झारखंडियों के मुद्दों पर मुखरता से अपनी बातों को रखा है. 1932 खतियान की बात करने वाले जगरनाथ दा कि दीवानगी इस बात से ही देखी जा सकती थी कि उनका मोबाइल नंबर से लेकर गाड़ियों का नम्बर तक 1932 था. हेमन्त सोरेन सरकार से हम अपील करते हैं कि जगरनाथ महतो को सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए उनका सपना 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति पूरा करें.


राज्य में दो दिन के शोक की घोषणा


मंत्री जगरनाथ महतो के सम्मान में झारखंड सरकार ने छह अप्रैल से दो दिनों के लिए राजकीय शोक की घोषणा की है. स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि पिछले दिनों अस्वस्थ्य महसूस होने के बाद उन्हें यहां अस्पताल में भर्ती कराया गया था. फिर उन्हें चेन्नई ले जाया गया था जहां इलाज के दौरान सुबह उनका निधन हो गया. शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो के निधन पर शोक प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, 'हमारे टाइगर जगरनाथ दा नहीं रहे!' सोरेन ने कहा, 'अपूरणीय क्षति! आज झारखण्ड ने अपना एक महान आंदोलनकारी, जुझारू, कर्मठ और जनप्रिय नेता खो दिया। चेन्नई में इलाज के दौरान आदरणीय जगरनाथ महतो जी का निधन हो गया.'


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