Jharkhand: झारखंड की 44 डिग्री की गर्मी में चढ़ा सियासी पारा, युवा नेता जयराम महतो ने किया नई पार्टी का एलान
Jairam Mahato New Party: झारखंड के क्षेत्रीय-स्थानीय मुद्दों को लेकर कई पार्टियां और मोर्चे बनते रहे हैं. छात्रों-युवाओं की इस नई पार्टी को राज्य में एक नए सियासी उभार के तौर पर देखा जा रहा है.
Jharlhnad News: झारखंड के धनबाद में रविवार (18 जून) की दोपहर 44 डिग्री तापमान के बीच बलियापुर हवाई पट्टी मैदान में जुटी तकरीबन 60 से 70 हजार की भीड़ ने राज्य की सियासत में एक हलचल पैदा कर दी. यह भीड़ उन छात्र-युवा नेताओं के आह्वान पर जुटी थी, जो राज्य में पिछले तीन सालों से भाषा, डोमिसाइल, नौकरी-रोजगार के सवालों पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं. इस आंदोलन से उभरे सबसे बड़े नेता जयराम महतो ने राज्य के कई जिलों से जुटे छात्रों-युवाओं की भीड़ के बीच एक नई राजनीतिक पार्टी 'झारखंडी भाषा-खतियान संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस)' के गठन का ऐलान किया. उपस्थित भीड़ ने ध्वनिमत से जयराम महतो को ही पार्टी का नया अध्यक्ष चुना. धनबाद के तोपचांची इलाके के निवासी जयराम महतो राज्य भर में 'युवा टाइगर' के नाम से जाने जाते हैं.
जयराम महतो की अगुवाई वाली नई पार्टी ने आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. जयराम कहते हैं, शहीदों के अरमानों का झारखंड आज तक नहीं बन पाया है. हमारी पार्टी 1932 के खतियान पर आधारित डोमिसाइल और रिक्रूटमेंट पॉलिसी को लागू कराने तक चुप नहीं बैठेगी.
डोमिसाइल को लेकर लगातार आंदोलन चल रहा है
दरअसल, झारखंड दशकों से क्षेत्रीयता की राजनीति की प्रयोगशाला रहा है. यहां के क्षेत्रीय-स्थानीय मुद्दों को लेकर कई पार्टियां और मोर्चे बनते रहे हैं. छात्रों-युवाओं की इस नई पार्टी को राज्य में एक नए सियासी उभार के तौर पर देखा जा रहा है. पिछले तीन सालों में झारखंड की प्रतियोगी परीक्षाओं में स्थानीय भाषाओं और 1932 के खतियान पर आधारित डोमिसाइल को लेकर लगातार आंदोलन चल रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाली सरकार ने खुद राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 1932 के खतियान पर आधारित डोमिसाइल और रिक्रूटमेंट पॉलिसी का बिल पारित किया था. कुछ महीने बाद ही झारखंड हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया.
तीन बार झारखंड बंद बुलाया
इसके बाद से इस मुद्दे पर राज्य सरकार बैकफुट पर है. लेकिन, जयराम महतो, देवेंद्र नाथ महतो, मनोज यादव सहित कुछ अन्य छात्र-युवा नेताओं की अगुवाई वाले संगठन इसे लेकर लगातार आंदोलन करते रहे. इन संगठनों ने पिछले छह महीने में कम से कम दो बार विधानसभा घेराव किया. तीन बार झारखंड बंद बुलाया. राज्य के अलग-अलग इलाकों में दो दर्जन से भी ज्यादा सभाएं हुईं. जयराम महतो ने 50 से ज्यादा जनसभाएं की और हर सभा में हजारों की तादाद में लोग जुटे. यह युवा नेता सोशल मीडिया पर बेहद लोकप्रिय हैं. उनके भाषणों के सैकड़ों वीडियो को यू-ट्यूब और फेसबुक पर काफी व्यूज मिले. तमाम चैनल्स और अखबारों में उनके इंटरव्यू भी दिख रहे हैं.
जयराम महतो कुर्मी जाति से आते हैं
अब यह मान लिया गया है कि राज्य में क्षेत्रीय राजनीति का एक और नया कोण बन गया है. झारखंड में राजनीति के जो जातीय समीकरण हैं, वह भी जयराम महतो के कद और प्रभाव को विस्तार देने वाले हैं. वह कुर्मी जाति से आते हैं और राज्य की राजनीति में इस जाति को आदिवासियों के बाद सबसे ज्यादा प्रभावी माना जाता है. आने वाले चुनावों में यह नई पार्टी क्या कुछ कर पाएगी, यह तो भविष्य ही बताएगा. लेकिन, इतना जरूर है कि इस नए सियासी उभार ने राज्य की स्थापित पार्टियों की टेंशन जरूर बढ़ा दी है.
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