Jamshedpur News: रघुवर दास और सरयू राय के समर्थकों के बीच जमकर चले लात-घूसे, छठ प्रोग्राम पर हुआ विवाद
Jharakhand: इसके अलावा दोनों के समर्थकों ने दौड़ा-दौड़ा कर एक-दूसरे को पीटा और कुर्सियां फेंकी. इस झड़प में दर्जनों लोग घायल हुए. जानिये पूरे मामले को लेकर क्या कहा प्रशासन ने?
Jharakhand News: झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास (Raghubar Das) और झारखंड के पूर्व मंत्री सह विधायक सरयू राय (Saryu Roy) दोनों के समर्थकों के बीच जमकर मार पीट हुई. दोनों समर्थकों के बीच सूर्य मंदिर परिसर में जमकर लात-घुसे चले और एक दूसरे के ऊपर कुर्सी फेंका गया.
इतना ही नहीं दोनों के समर्थकों ने दौड़ा-दौड़ा कर एक दूसरे के समर्थकों को पीटा. घटना के बाद विधायक सरयू राय के समर्थक गुट ने थाना पहुंचकर मामला दर्ज कराया. पुलिस ने घायलों को इलाज के लिए जमशेदपुर के एमजीएम हॉस्पिटल भेजा.
जमकर चले लात घूसे
जमशेदपुर में छठ पूजा को लेकर सूर्य मंदिर परिसर में सरयू राय और रघुवर दास के समर्थकों के बीच तना–तनी हुई थी. मामला इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों के बीच लात-घूसे चलने लगे. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर कुर्सियां फेंकनी शुरू कर दी. इस घटना में दोनों पक्षों के लोगों को चोटें आई. इस झड़प में दर्जनों लोग घायल हुए हैं जबकि 100 से ज्यादा कुर्सियां टूटी है.
मौके पर क्यूआरटी की तैनाती हुई
प्रशासन की ओर से मौके पर क्यूआरटी की तैनाती कर दी गई है. दोनों पक्ष सिदगोड़ा थाना पहुंचे. सूचना पाकर एसडीओ, डीएसपी और अन्य अधिकारी भी थाना पहुंचे. फिलहाल दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है. बता दे कि सूर्य मंदिर परिसर में छठ पूजा को लेकर आयोजन किया जा रहा है.
इसको लेकर यहां रघुवर दास के समर्थकों द्वारा स्टेज बनाया गया था जहां शाम के अरग के बाद बाहर से बुलाए गए कलाकारों द्वारा छठ गीत को लेकर प्रोग्राम होना था. वहीं स्टेज के सामने पूर्व मंत्री सह विधायक सरयू राय के समर्थक अपने स्टॉल लगाकर कल सुबह प्रसाद वितरण का कार्यक्रम रखा था और बाद में वहां पर कीर्तन का प्रोग्राम रखा गया था. इसी को लेकर विवाद बढ़ता गया.
कुछ दिन पहले मंदिर को कब्जे में लिया था प्रशासन
जमशेदपुर के टाटा मैन हॉस्पिटल में सुबोध श्रीवास्तव, अजय सिन्हा, लक्ष्मी सरकार की स्थिति गंभीर होने के बाद बेहतर इलाज के लिए एमजीएम हॉस्पिटल से रेफर किया गया था. बता दें कि सूर्य मंदिर का विवाद काफी पुराना है. हालांकि कुछ दिन पहले जिला प्रशासन ने सूर्य मंदिर को अपने कब्जे में ले लिया. जबकि उससे पहले रघुवर दास के कब्जे में था. जिला प्रशासन ने साफ कर दिया कि मंदिर में जो पैसा खर्च हुआ है वह सरकार का पैसा है, इसलिए यह संपत्ति सरकार की है. हालांकि यह मांग सरयू राय ने की थी.