Jharkhand Mob Lynching Bill: झारखंड विधानसभा में एंटी मॉब लिंचिंग बिल पारित, दोषियों को उम्रकैद तक की सजा...जानें- 10 बड़ी बातें
Jharkhand Mob Lynching Bill: झारखंड विधानसभा ने मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) के खिलाफ सरकार की तरफ से पेश किए गए विधेयक को पारित कर दिया है. आप भी जानें इससे जुड़ी खास बातें.
Jharkhand Mob Lynching Bill Passed: झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) ने मंगलवार को मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) के खिलाफ सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयक को पारित कर दिया है. हालांकि, राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा (BJP) ने इसे हड़बड़ी में और एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए लाया गया विधेयक बताते हुए सदन का बहिष्कार किया. भाजपा विधायकों के वॉकआउट के बीच सदन ने विधेयक को मंजूरी दे दी. राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद विधेयक कानून का रूप ले लेगा. तो चलिए आपको बताते हैं विधेयक की 10 बड़ी बातें.
1- 'झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक 2021' में कहा गया है, अगर कोई मॉब लिंचिंग में शामिल रहता है और ऐसी घटना में पीड़ित की मौत हो जाती है तो दोषी को सश्रम आजीवन कारावास के साथ 25 लाख रुपये तक जुर्माना देना होगा.
2- विधेयक में कहा गया है कि, यदि कोई व्यक्ति किसी को लिंच करने की साजिश में शामिल होता है या षडयंत्र करता है या लिंचिंग के कृत्य के लिए दुष्प्रेरित या उसमें सहायता या प्रयत्न करता है, तो उसके लिए भी आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है.
3- अगर मॉब लिंचिंग में किसी को गंभीर चोट आती है, तब भी दोषी को 10 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा होगी. इसके साथ ही 3 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
4- उकसाने वालों को भी दोषी माना जाएगा और उन्हें 3 साल की सजा और एक से 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
5- लिंचिंग के अपराध से जुड़े किसी साक्ष्य को नष्ट करने वाले को भी अपराधी मानकर एक साल की सजा और 50 हजार रुपये तक का जुर्माना होगा.
6- अगर कोई लिंचिंग का माहौल तैयार करने में सहयोग करता है तो ऐसे व्यक्ति को 3 साल की सजा और एक से 3 लाख तक जुर्माना होगा.
7- दंड प्रक्रिया संहिता के तहत जांच के जो प्रावधान बताए गए हैं, वही प्रक्रिया यहां भी अपनाई जाएगी. मॉब लिंचिंग से जुड़े सभी अपराध गैर जमानती होंगे.
8- विधेयक में ये व्यवस्था भी की गई है कि मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए पुलिस महानिदेशक स्तर के पदाधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया जाएगा.
9- राज्य स्तर के नोडल पदाधिकारी जिलों में स्थानीय खुफिया इकाइयों के साथ महीने में कम से कम एक बार बैठक करेंगे. जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक या वरीय पुलिस अधीक्षक जिले के लिए समन्वयक होंगे.
10- संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को 'प्रभावी सुरक्षा' प्रदान करना है। इसके अलावा संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और भीड़ की हिंसा की रोकथाम भी इसका प्रमुख उद्देश्य है.
चुनावी घोषणा पत्र में सख्त कानून लागू करने की कही थी बात
बता दें कि झारखंड में 2019 में सरायकेला-खरसावां जिले में तबरेज अंसारी नाम के एक युवक को चोरी के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने की घटना और इससे जुड़े विवाद पर पूरे देश में कई महीनों तक चर्चा होती रही थी. इसके पहले रामगढ़ शहर में भी प्रतिबंधित मांस लेकर जा रहे एक युवक की भीड़ द्वारा हत्या पर भी बवाल हुआ था. झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून लागू करने का एलान किया था.
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