झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 से 22 दिसंबर तक, सरकार Mob Lynching पर ला सकती है कानून
Jharkhand News: झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 दिसंबर से शुरू होकर 22 दिसंबर तक चलेगा. सत्र के दौरान सरकार की तरफ से मॉब लिंचिंग के खिलाफ बिल सहित लगभग आधा दर्जन विधेयक सदन में लाए जा सकते हैं.
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Jharkhand Assembly Winter Session: झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) का शीतकालीन सत्र 16 दिसंबर से शुरू होकर 22 दिसंबर तक चलेगा. सत्र में केवल 5 कार्यदिवस होंगे, लेकिन सियासी मायनों में इस सत्र को बेहद अहम माना जा रहा है. राज्य में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार आगामी 29 दिसंबर को अपने 2 साल पूरे कर रही है. इसके ठीक पहले आयोजित हो रहे इस सत्र में सरकार अपनी दूसरी वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए कई अहम घोषणाएं कर सकती है.
सरकार को घेरेगा विपक्ष
सत्र के दौरान सरकार की तरफ से मॉब लिंचिंग के खिलाफ बिल सहित लगभग आधा दर्जन विधेयक सदन में लाए जा सकते हैं. दूसरी तरफ विपक्ष ने भी सरकार की घेरेबंदी के लिए मुद्दे जुटा लिए हैं. पंचायत चुनाव, जेपीएससी परीक्षा परिणाम की कथित गड़बड़ियों, नियुक्ति नियमावली से जुड़े भाषा विवाद, विधानसभा नमाज कक्ष विवाद सहित कई मुद्दे हैं, जिनपर विपक्षी दल सरकार पर तीखे वार के मौके हाथ से नहीं जाने देना चाहेंगे.
सरकार की ओर से पूरे जवाब दिए जाने चाहिए
इस बीच सत्र के सुचारू संचालन के लिए मंगलवार को झारखंड विधानसभा के स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. स्पीकर ने कहा कि सत्र के दौरान पक्ष-विपक्ष के सदस्यों की तरफ से उठाए जाने वाले सवालों पर सरकार की ओर से पूरे जवाब दिए जाने चाहिए. बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उपस्थित रहे. बैठक के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि सरकार सत्र को जन उपयोगी बनाने के लिए अपने स्तर पर तैयारी कर चुकी है. सत्र की तैयारी को लेकर स्पीकर ती तरफ से बुलाई गई बैठक में विपक्ष लगभग गायब रहा.
मृत्युदंड तक का है प्रावधान
माना जा रहा है कि इस सत्र के दौरान सरकार मॉब लिंचिंग के खिलाफ बिल लाएगी. इसका ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया गया है. इस बिल के ड्राफ्ट में मॉब लिंचिंग के दोषियों के लिए मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है. यदि विधानसभा से ये कानून पास हो जाता है तो पश्चिम बंगाल के बाद झारखंड ऐसा दूसरा प्रदेश बन जाएगा, जहां मॉब लिंचिंग में मौत होने पर डेथ पेनाल्टी का प्रावधान होगा. ड्राफ्ट में इस बात का भी जिक्र है कि आइजी रैंक या इससे ऊपर का अधिकारी मॉब लिंचिंग रोकने के लिए राज्य का नोडल अफसर होगा. नोडल अफसर की प्रतिनियुक्ति डीजीपी करेंगे.
पढ़ें- पूरी जानकारी
ड्राफ्ट में कहा गया है कि यदि लिंचिंग की घटना में किसी को चोट आती है तो इस मामले में दोषी को 3 साल की जेल की सजा हो सकती है, इसके साथ ही 1 से 3 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. गंभीर चोट आने की स्थिति में दोषी को 10 वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सजा दी सकती है और अगर इस तरह की घटना में किसी की मौत हो जाती है तो दोषी को उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा दी जा सकेगी. इसके अलावा 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा सरकार पारा शिक्षकों की सेवा नियमितीकरण की नई नियमावली की घोषणा भी सदन में कर सकती है.
पंचायत चुनाव को मुद्दा बनाने की तैयारी
इधर, विपक्ष की अपनी तैयारियां हैं. राज्य में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्हें एक साल से विस्तार दिया जा रहा है. राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी इसे असंवैधानिक बता रही है. झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दीपक प्रकाश और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का कहना है कि पंचायत चुनाव ना कराने के पीछे सरकार की मंशा यही है कि पंचायतों में तदर्थवाद की व्यवस्था बनाकर कमीशनखोरी को बढ़ावा दिया जाए, विधानसभा में भाजपा इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी.
उठ सकते हैं ये मुद्दे
झारखंड लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम को लेकर राज्य में छात्र-युवाओं का एक बड़ा समूह आंदोलित है. भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल से मुलाकात की है. ये तय माना जा रहा है कि विधानसभा सत्र के दौरान इस मुद्दे पर हंगामा खड़ा होगा. बीते बजट सत्र के दौरान विधानसभा में नमाज के लिए अलग कक्ष आवंटित किए जाने पर जोरदार हंगामा हुआ था. इस मसले को लेकर स्पीकर ने एक कमेटी बनाई थी, लेकिन आज तक ये मसला नहीं सुलझा है. जाहिर है, ये मुद्दा भी सदन में उठेगा और इस पर बवाल भी तय माना जा रहा है. झारखंड सरकार ने वर्ष 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया था, लेकिन कई कारणों से राज्य में बड़े पैमाने पर रिक्त पदों पर बहाली नहीं हो पाई है. विपक्ष जहां इसे मुद्दा बनाएगा, वहीं सरकार नियुक्ति को लेकर एक बार फिर बड़ी घोषणाएं कर सकती है.
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