Lok Sabha Election: जयंत सिन्हा हजारीबाग से नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव? खुद जेपी नड्डा से की ये अपील
Lok Sabha Election 2024: पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा ने एक्स पर लोकसभा चुनाव को लेकर रुख साफ कर दिया है. वो झारखंड के हजारीबाग से सांसद हैं.
Jayant Sinha Lok Sabha Election 2024: झारखंड के हजारीबाग से सांसद जयंत सिन्हा (Jayant Sinha) ने लोकसभा का चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर की है. इसकी जानकारी उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को दी है. जयंत सिन्हा ने कहा कि वह अब भारत में वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयास पर ध्यान देना चाहते हैं. इससे पहले पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने खुद को राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त करने की अपील पार्टी लीडरशिप से की थी.
जयंत सिन्हा ने 'एक्स' पर लिखा, ''मैंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जी से चुनावी दायित्वों से मुक्त करने की अपील की है ताकि मैं भारत और दुनिया में वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयास पर ध्यान दे पाऊं. निश्चित तौर पर मैं आर्थिक और सुशासन के मुद्दों पर पार्टी के साथ काम करतना रहूंगा. मुझे पिछले 10 वर्षों से भारत और हजारीबाग के लोगों की सेवा करने का अवसर मिलता रहा. इसके अतिरिक्त, पीएम नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह जी और बीजेपी के नेतृत्व की ओर से कई अवसर उपलब्ध कराए गए. मैं सभी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं. जय हिंद''
I have requested Hon’ble Party President Shri @JPNadda ji to relieve me of my direct electoral duties so that I can focus my efforts on combating global climate change in Bharat and around the world. Of course, I will continue to work with the party on economic and governance…
— Jayant Sinha (@jayantsinha) March 2, 2024
पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में रह चुके हैं मंत्री
जयंत सिन्हा पूर्व केंद्रीय मंत्री और टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा के बेटे हैं. जयंत सिन्हा 2014 में पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. उन्हें पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में मंत्री बनाया गया था. जयंत सिन्हा 2016 से 2019 के बीच ने उड्डयन राज्य मंत्री रहे हैं. इसके अलावा 2014 से 2016 के बीच वित्त राज्य मंत्री के रूप में भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं. जयंत सिन्हा को 2019 में एकबार फिर हजारीबाग सीट से टिकट दिया गया था और वह पार्टी की उम्मीद पर खरे भी उतरे. उन्होंने एकबार फिर जीत हासिल की. लेकिन पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में उन्हें कोई मंत्रालय नहीं दिया गया था.
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