Jharkhand: निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम की बढ़ी मुश्किलें, ED के बाद अब ACB इस मामले में करेगी कार्रवाई
Ranchi: 2020 को एसीबी ने जमशेदपुर में सुरेश प्रसाद नाम के जूनियर इंजीनियर को घूस लेते पकड़े जाने के बाद उसके घर छापेमारी की थी. तब सुरेश ने बताया था कि पैसे वीरेंद्र राम के हैं.
Jharkhand News: झारखंड में ग्रामीण कार्य विकास विभाग के निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम (Virendra Ram) पर अब एसीबी (ACB) में भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला चलेगा. दरअसल, नवंबर 2020 में एसीबी के दर्ज केस के आधार पर वीरेंद्र राम पर मुकदमा चलाने की अनुमति एसीबी के विभाग से मांगी थी, लेकिन लंबे समय से अनुमति नहीं मिल पाने के कारण जांच शुरू नहीं हो पायी थी. वहीं अब विभागीय आदेश के बाद एसीबी ने कोर्ट को जानकारी देते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है. फरवरी में ईडी ने वीरेंद्र क्रे ठिकानों पर छापेमारी की थी. इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. तब से वह बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में बंद है. ईडी ने 19 अप्रैल को वीरेंद्र राम की 39.28 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की थी.
बता दें कि, 15 नवंबर 2020 को एसीबी ने जमशेदपुर में सुरेश प्रसाद नाम के जूनियर इंजीनियर के घर छापेमारी की थी. घूस लेते पकड़े जाने के बाद सुरेश के यहां एसीबी ने छापेमारी की, तब उनके मकान से 2.67 करोड़ बरामद किए गए थे. सुरेश ने तब बताया था कि पैसे वीरेंद्र राम के हैं. वीरेंद्र राम के चचेरे भाई आलोक रंजन के द्वारा मकान किराए पर लेने की बात भी सुरेश ने बतायी थी. सुरेश ने तब मकान का रेंट एग्रीमेंट भी एसीबी को दिया था. एसीबी ने इसी आधार पर वीरेंद्र के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी थी. इसके बाद ईडी ने वीरेंद्र राम व उनके परिजनों के लाइफ स्टाइल से पर्दा उठाया है. वहीं राम ने अपनी आय से कई गुना अधिक कीमतों में दिल्ली के साकेत, छतरपुर व डिफेंस कॉलोनी में घर खरीदे हैं. घर की खरीद के लिए करोड़ों की राशि नकदी देने की पुष्टि भी ईडी की जांच में हुई है. कई शेल कंपनियों के जरिए फंड के ट्रांजेक्शन का खुलासा ईडी ने अबतक की जांच में किया गया है.
ईडी पूछताछ में क्या बताया?
दरअसल, वीरेंद्र राम ने खुद ईडी के सामने यह बात कबूल की थी कि उसने आईटीआर में सारी जानकारी गलत दी थी. उसके खाते में साल 2014-15 व 2018-19 के दौरान 9.30 करोड़ व दिसंबर 22 से जनवरी 2023 के बीच 4.50 करोड़ रुपये उसके जीवन भर की कमाई से कहीं अधिक है. ईडी ने जांच में पाया है कि साल 2019 के बाद वीरेंद्र राम व उसके चचेरे भाई आलोक रंजन एक साथ कई बार दिल्ली गए. साथ ही हर बार मोटी रकम वे साथ ले जाते थे और ये रकम सीए मुकेश मित्तल को हैंडओवर किया जाता था.