झारखंड की सियासत का नया नाम 'जयराम', विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे पार्टी का भविष्य
Jharkhand Election 2024: इस साल लोकसभा चुनाव से पहले जयराम महतो ने अपनी पार्टी जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा का गठन किया. उन्हें लोकसभा में करीब साढ़े तीन लाख वोट मिले थे.
Jharkhand Assembly Election 2024: पिछले डेढ़ साल में झारखंड की सियासत में उभरे 29 साल के जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) सूबे में 71 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ी है. जयराम महतो खुद बोकारो के बेरमो व गिरडीह के डुमरी से चुनाव लड़े हैं.
इस साल लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी का गठन किया. विधानसभा चुनाव से 2 महीने पहले चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी जेएलकेएम को पंजीकृत किया है. 2024 लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़े थे. 3,47,322 वोट हासिल कर बीजेपी और जेएमएम उम्मीदवारों के बाद तीसरे स्थान पर रहे.
कौन हैं जयराम महतो?
जयराम महतो का जन्म 1995 में धनबाद जिले के मानतंड गांव में हुआ था. उनके पिता झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के आंदोलन में सक्रिय सदस्य थे. जयराम अंग्रेजी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुके हैं.
2022 में आए चर्चा में
साल 2022 में भाषा आंदोलन से जयराम निकले हैं. जयराम महतो पहली बार 2022 में राज्य में आंदोलन शुरू करने के लिए चर्चा में आए थे जब 11 जिलों में राज्य स्तरीय परीक्षाओं के लिए भोजपुरी, मगही और अंगिका जैसी झारखंड से बाहर की मानी जाने वाली भाषाओं को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल किया गया था. उन्होंने इस मांग के साथ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया कि केवल स्थानीय भाषा को ही बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
जयराम को टाइगर भी कहा जाता है. 1932 आधारित नियोजन नीति का मुद्दा लेकर चुनाव में उनकी पार्टी उतरी है. 75-सूत्रीय चुनाव घोषणापत्र भी पार्टी ने जारी किया है.
कुर्मी समाज से आते हैं जयराम
जयराम कुर्मी समाज से आते हैं. झारखंड में कुर्मी समाज की आबादी करीब 15 फीसदी है. इस समाज में उनकी तेजी से पकड़ बनी है. राज्य की करीब एक दर्जन कुर्मी बहुल विधानसभा सीटों पर उनकी विशेष नजर है. वहीं लोकल मुद्दों को भी उठाकर आदिवासियों के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश उन्होंने की है. आदिवासियों की आबादी करीब 26 फीसदी है.
सोशल मीडिया से हुए हिट
चुनाव प्रचार में उनकी रैलियों और रोड शो में भारी भीड़ देखने को मिली, लेकिन इस भीड़ को वह वोट में कितना बदल पाएंगे, चुनाव परिणाम ही इसे तय करेगा. जयराम की लोकप्रियता में एक बड़ा योगदान सोशल मीडिया पर उनके वीडियो का है जहां उनके बहुत सारे फॉलोअर्स हैं. वीडियो में वे राजनेताओं द्वारा हासिल किए गए पैसे, लोगों की गरीबी और झारखंड में बाहरी लोगों को सरकारी नौकरी से जुड़े मामलों पर बात करते हैं. अपने भाषणों में बताते नजर आते हैं कि किस तरह झारखंड में लोगों को उनके हक अधिकार से वंचित कर दिया गया.
कुर्मी वोटर्स में लगा सकते हैं सेंध
झारखंड में एनडीए व महागठबंधन के बीच लड़ाई है. लेकिन इस चुनाव में जयराम महतो की भी चर्चा हो रही है. सवाल यह उठ रहा है कि एनडीए या इंडिया गठबंधन किसका खेल जयराम बिगाड़ सकते हैं. जयराम की बढ़ती लोकप्रियता पुरानी पार्टियों के मौजूदा मतदाता आधार, खासकर कुर्मी मतदाताओं के बीच सेंध लगा सकती है.
ये भी पढ़ें
झारखंड चुनाव में महिला मतदाताओं ने पुरुषों से मारी बाजी, 81 में से 68 सीटों पर ज्यादा किया वोट