Jharkhand Assembly Election Result 2024: झारखंड में शनिवार (23 नवंबर) को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो जाएंगे. उसके बाद पता चलेगा कि कौन पास हुआ और कौन फेल. 23 नवंबर 2024 की तारीख ये तय करेगी कि झारखंड की कुर्सी पर हेमंत सोरेन की वापसी होगी या किसी नए चेहरे के सिर पर ताज सजेगा?
झारखंड की 81 विधानसभा सीटों पर चुनाव के नतीजों का असर लंबे समय तक दिखाई दे सकता है. ये चुनाव कई नेताओं के राजनीतिक भविष्य की दिशा तय करेगा और कई नेताओं का पॉलिटिकल करियर ख़त्म भी कर सकता है.
एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल
झारखंड के लिए एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक झारखंड में NDA को 17 से 27 सीट मिल रही है. उसका वोट शेयर 37 फीसदी है. इंडिया अलायंस को 49 से 59 सीट मिलती दिख रही है. उसका वोट शेयर 45 फीसद दिखाई दे रहा है. एग्जिट पोल के यही आंकड़े अगर चुनाव नतीजे में बदल जाते हैं तो झारखंड में इंडिया अलायंस की सरकार बननी तय है.
JMM ने कितनी सीटों पर जीत का किया दावा
नतीजों से पहले एग्जिट पोल देखकर हेमंत सोरेन की पार्टी बम बम है. हालांकि असल तस्वीर इससे अलग भी हो सकती है. JMM प्रवक्ता मनोज पांड ने कहा, ''हमलोग के पास ग्राउंड जीरो का फीडबैक है. इंटरनल सर्वे हम लोगों ने कराया है. 55 सीट हम लोग जीत रहे हैं.'' जेएमएम सांसद महुआ माजी ने दावा करते हुए कहा, ''अंतिम व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुंचाने का प्रयास हमारी सरकार ने किया है, जो बात लोगों को अच्छी लगी है.
हमारे पक्ष में बंपर वोटिंग हुई.''
एग्जिट पोल से खुश झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता ताबड़तोड़ दावे कर रहे हैं. JMM नेता सुप्रियो भट्टाचार्य का कहना है कि झारखंड के 24 में से 11 जिले ऐसे हैं, जहां एनडीए का खाता भी नहीं खुल पाएगा. हमारे पास फीड बैक है कि 59 सीट पर महागठबंधन की जीत होगी.
प्रचंड बहुमत से NDA की सरकार बनेगी-बाबूलाल मरांडी
वहीं बीजेपी का कहना है कि झारखंड में कमल खिलने वाला है. झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, ''मेरी प्रत्याशियों, विधानसभा प्रभारियों, जिला अध्यक्षों कार्यकर्ताओं से वन टू वन बात हुई है. फीडबैक मिला है. 51 से ज्यादा सीटें NDA जीतेगा, प्रचंड बहुमत से सरकार बनने जा रही है. महागठबंधन सरकार जनता के लिए काम नहीं की. पैसा कमाने में लग गयी. जमकर भ्रष्टाचार हुआ इसलिए सरकार से जनता त्रस्त है''
बीजेपी नेता सीपी सिंह ने कहा, ''59 सीटें महागठबंधन के जीतने का दावा जो JMM कर रही है. यह करके अधिकारियों पर मनोवैज्ञानिक दवाब बना रही है कि यह यह सीटें महागठबंधन को जिताओ. महागठबंधन के पक्ष में नतीजे जब नहीं आयेंगे तो EVM पर ठीकरा फोड़ेंगे. राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप अलग बात है लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा 24 में से 11 जिलों में NDA का खाता न खुलने का जो दावा कर रहा है वो हैरान करने वाला है.''
एग्जिट पोल के आंकड़ों से क्या निष्कर्ष?
नेताओं की बयानबाजी से हटकर अगर एग्जिट पोल के आंकड़ों को डीकोड करें तो पता चलता है कि झारखंड में सत्ता विरोधी लहर नहीं थी. अगर थी भी तो हेमंत सोरेन ने उस पर काबू पा लिया. इस बार की जीत शिबू सोरेन की विरासत संभाल रहे हेमंत सोरेन का सियासी कद निश्चित रूप से बढ़ा देगी. इंडिया अलायंस में हेमंत सोरेन की बातों का वजन भी बढ़ेगा और पार्टी का झारखंड से बाहर विस्तार किया जा सकता है.
एग्जिट पोल के आंकड़े सही साबित हुए तो क्या?
अगर एग्जिट पोल के आंकड़े सही साबित हुए तो हेमंत सोरेन के लिए संभावनाओं के दरवाजे खुल जाएंगे. लेकिन NDA की अगुआई कर रही बीजेपी की मुश्किल बढ़ सकती हैं. सबसे पहला और सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि झारखंड की हार का ब्रैंड मोदी पर क्या असर होगा? सवालों के घेरे में तो असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी रह सकते हैं. जिन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाकर पूरे चुनाव को एक नया एंगल दे दिया. अगर BJP हारी तो उनकी चुनाव रणनीति पर भी सवाल उठेंगे.
बीजेपी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को चुनाव के लिए फ्री-हैंड दिया था. ऐसे में उनके राजनीतिक भविष्य़ का क्या होगा? सवाल चंपाई सोरेन का भी है. चंपाई सोरेन ने चुनाव से ठीक पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी? वो आगे क्या करेंगे? बीजेपी में रहेंगे या वापस लौट जाएंगे या फिर अपनी पार्टी बनाएंगे?
एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल की मानें तो अनुसूचित जनजाति में से 62 फीसद वोट इंडिया अलायंस के पाले में गए, जबकि NDA को सिर्फ 27 फीसद वोट मिले. यानी अदिवासी समुदाय ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के पक्ष में करीब करीब एकतरफा वोटिंग की. इसी तरह ईसाई और मुस्लिम वोटर ने भी खुद को NDA से दूर रखा. ईसाई समुदाय की बात करें तो 84 फीसद ने इंडिया अलायंस को और सिर्फ 3 फीसदी ने NDA को वोट दिया. इसी तरह मुस्लिमों की बात करें तो 86 फीसद ने इंडिया अलायंस को और सिर्फ 2 फीसद ने एनडीए को वोट दिया.
झारखंड की 30 सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी!
झारखंड में मुस्लिम और ईसाइयों की अच्छी तादाद है. जाहिर है इनकी एकतरफा वोटिंग से NDA को नुकसान हुआ. हालांकि इन सबके बीच झारखंड में तीस सीट ऐसी भी बताई जा रही हैं, जहां मुकाबला काफी करीबी है. यानी इन सीटों पर हार-जीत काफी कम अंतर से हो सकता है इसलिए इन सीटों को फंसी हुई सीटों के तौर पर देखा जा रहा है. यहां बाजी कौन मारेगा, ये कहना किसी के लिए भी आसान नहीं है.
पलामू प्रमंडल में ऐसी 5 सीट हैं, जहां मुकाबला बेहद करीबी है. कोल्हान प्रमंडल में ऐसी 6 सीट हैं. संथाल परगना में 8, दक्षिणी छोटानागपुर में 6
और उत्तरी छोटानागपुर में ऐसी 5 सीट है, जहां हार जीत का फैसला काफी कम वोट से हो सकता है. इन्हीं तीस सीटों पर बीजेपी को अपनी जीत की उम्मीद दिख रही है. झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी 51 से ज्यादा सीट जीतने का दावा कर रहे हैं.
झारखंड की राजनीति में एक और टाइगर
झारखंड की सत्ता पर एनडीए और इंडिया अलायंस की दावेदारी के बीच झारखंड की राजनीति में एक और टाइगर ने दस्तक दे दी है. वैसे तो उनका नाम जयराम महतो है लेकिन समर्थक टाइगर जयराम कहते हैं. 29 साल के जयराम महतो ने इसी साल झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा यानी JLKM का गठन किया और 71 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए. चुनाव प्रचार के दौरान इनकी रैलियों में खूब भीड़ उमड़ी और वो लोगों का ध्यान खींचते रहे. जयराम खुद बोकारो के बेरमो और गिरडीह के डुमरी से चुनाव लड़ रहे हैं.
क्या किंग मेकर बनेंगे जयराम महतो?
जयराम महतो ने पार्टी बेशक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बनाई है लेकिन राजनीति में पिछले डेढ़ साल से सक्रिय हैं. 2022 में जयराम ने परीक्षाओं में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा दिलाने के नाम पर आंदोलन किया. इसके बाद 2024 का लोकसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ा. इस चुनाव में वो बीजेपी और JMM के बाद तीसरे नंबर पर रहे थे
जयराम 15 फीसद आबादी वाले कुर्मी समाज से ताल्लुक रखते हैं और एक दर्जन कुर्मी बहुल विधानसभा सीटों पर असर डाल सकते हैं इसलिए इस चुनाव में जयराम महतो की भी खूब चर्चा हो रही है. अगर नतीजों के बाद बहुमत का पेच फंसा और जयराम महतो के हाथ कुछ सीटें आईं तो इनके किंगमेकर बनने के पूरे चांस हैं.
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