Jharkhand Assembly Elections 2024: झारखंड में विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची से निराश एक निवर्तमान विधायक और तीन पूर्व विधायकों सहित इसके कई नेताओं का पाला बदलना पार्टी के भीतर पनप रहे असंतोष को दिखाता है.
पार्टी बदलने वाले नेताओं की एक बड़ी शिकायत यह है कि बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर चुनाव से पहले अन्य दलों से आए नेताओं को उम्मीदवार बना रही है. राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान 13 नवंबर एवं 20 नवंबर को होगा और मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी.
बीजेपी में शामिल हुए नेताओं पर जताया भरोसा
बीजेपी के एक नेता ने कहा, ‘‘हम आहत हैं. अगर आप सूची देखें तो पार्टी ने अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हुए अन्य दलों से बीजेपी में शामिल हुए नेताओं पर भरोसा जताया है. अब तक घोषित 66 उम्मीदवारों में से आधे से अधिक ऐसे हैं जो अन्य दलों से आए हैं.’’ बीजेपी से टिकट पाने वाले नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, उनके बेटे बाबूलाल सोरेन, लोबिन हेम्ब्रोम, गंगा नारायण, मंजू देवी, गीता कोड़ा, सीता सोरेन और रामचंद्र चंद्रवंशी समेत अन्य नेता शामिल हैं.
असम के मुख्यमंत्री और झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए सह-प्रभारी हिमंत विश्व शर्मा ने इस बात को खारिज कर दिया कि पार्टी के भीतर कोई बड़ा असंतोष है. उन्होंने कहा कि बीजेपी एक बड़ा राजनीतिक दल है, ऐसे में उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद नेताओं में कुछ नाराजगी होना स्वाभाविक है
ये नेता हुए हैं शामिल
सीएम शर्मा ने कहा कि वह असंतुष्ट नेताओं से मुलाकात करेंगे. पूर्व विधायकों लुईस मरांडी, कुणाल सारंगी और लक्ष्मण टुडू समेत कई बीजेपी नेता सोमवार (21 अक्टूबर) को झामुमो में शामिल हो गए. पिछले सप्ताह, तीन बार के बीजेपी विधायक केदार हाजरा और बीजेपी सहयोगी आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन) के उमाकांत रजक भी सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो गए थे.
'नौकरी छोड़कर समाज की सेवा करने के लिए आया हूं भारत'
सारंगी ने कहा, ‘‘बीजेपी में किसी ने भी मुझे फोन करने तक की जहमत नहीं उठाई. उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान जमशेदपुर सीट के उम्मीदवार के चयन के लिए मेरा नाम छांटा था, लेकिन टिकट नहीं दिया गया. यह एक बुनियादी शिष्टाचार है कि वे मुझे फोन करते. मैं इससे बहुत आहत हुआ, खासकर तब, जब मैं विदेश में एक आरामदायक नौकरी छोड़कर समाज की सेवा करने के लिए भारत आया हूं. मैंने सभी महत्वपूर्ण लोगों से संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन किसी ने भी यह पता लगाने की जहमत नहीं उठाई और कोशिश नहीं की कि क्या गड़बड़ है.’’
'गढ़ माना जाता था झामुमो का'
उन्होंने जुलाई में बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. पूर्व मंत्री मरांडी ने कहा कि 24 साल तक बीजेपी की सेवा करने के बाद इससे अलग होना ‘‘दुखद’’ है. उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी ने 2014 में दुमका में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी जिसे झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) का गढ़ माना जाता था, लेकिन उसने पार्टी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाली महिलाओं के बजाय उन महिलाओं को सम्मान दिया जो बाहर से पार्टी में लाई गई थीं.’’
उन्होंने 2014 में दुमका में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 5,262 मतों के अंतर से हराया था लेकिन 2019 में वह उनसे करीब 13,000 मतों से हार गईं. वह 2020 के उपचुनाव में भी झामुमो के बसंत सोरेन से हार गई थीं. मरांडी ने कहा, ‘‘बीजेपी चाहती थी कि मैं बरहेट से चुनाव लड़ूं जो मेरे लिए नयी सीट थी. मुझे मेरी सीट नहीं दी गई.’’
'टिकट दिए जाने के बाद पाला बदल लिया'
बीजेपी ने दुमका विधानसभा सीट से सुनील सोरेन को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस की मंजू कुमारी को 2019 में हराकर जमुआ सीट जीतने वाले हाजरा ने कहा कि तीन दशक तक बीजेपी की सेवा करने के बावजूद उन्हें उपेक्षित महसूस हुआ. कांग्रेस नेता के बीजेपी में शामिल होने और उन्हें टिकट दिए जाने के बाद उन्होंने पाला बदल लिया. टुडू ने 2014 में घाटशिला में झामुमो के नेता रामदास सोरेन को हराया था.
टुडू ने कहा कि वह बीजेपी में ‘‘अलग-थलग’’ महसूस कर रहे हैं. बहरहाल, बीजेपी ने चुनाव जीतने का भरोसा जताया है. वह 81 में से 68 सीट पर चुनाव लड़ रही है और बाकी सीट उसने अपने सहयोगियों के लिए छोड़ दी हैं. चुनाव में कुल 2.60 करोड़ लोग मतदान करने के पात्र हैं. झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 2019 में बीजेपी से सत्ता छीनते हुए 47 सीट जीती थीं.
ये भी पढ़ें: Jharkhand Congress List: झारखंड में कांग्रेस ने जारी की 21 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट, कई दिग्गजों को टिकट