Jharkhand Politics News: कर्नाटक में बीजेपी (BJP) की हार से झारखंड भी बेअसर नहीं है. डबल इंजन का नारा कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश से पहले झारखंड में ही फीका पड़ा था. यहां ताबड़तोड़ अभियान के बाद भी सत्ता में बीजेपी की वापसी नहीं हुई थी. बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का सूत्र वाक्य 'लोकल फॉर वोकल' स्थानीय उत्पाद को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का वचन, स्थानीयों को महत्व देने का वादा ये सब बेअसर रहा. दरअसल, बात जब राजनीतिक क्षेत्र की हो तो बीजेपी इस मंत्र को भूलने लगती है. वह संगठन और विचारधारा को आगे करती है और नेताओं को इसके पीछे रखती है. ऐसे में यह प्रयोग कहीं सफल तो कहीं विफल होता है.


वर्तमान में इस प्रयोग से उत्तर प्रदेश और असम मुक्त हो चुके हैं, लेकिन झारखंड अभी भी मोदी भरोसे है या यूं कहें कि प्रदेश बीजेपी भी नरेंद्र मोदी को ही खेवनहार मान कर चल रही है. अगर केंद्रीय नेतृत्व के दृष्टिकोण से बात करें तो ऐसा लगता है कि दिल्ली में बैठे नेता भी स्थानीय नेताओं को उभारने में फिलहाल कम दिलचस्पी ले रहे हैं. बता दें कि, कर्नाटक में हार के बाद झारखंड बीजेपी में बेचैनी बढ़ गई है. क्योंकि इस प्रदेश में भी बाहरी भीतरी की भावना एक प्रकार से उन्माद के स्तर पर है. यहां पर बीजेपी के सामने झामुमो खड़ा है, जिसके लिए स्थानीयता सबसे ऊपर है. 


इस बार कौन होगा बीजेपी का चेहरा?
बीजेपी भी मानती है कि झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उनकी भाषा में जवाब देने वाला उनका नेता स्थानीय होना चाहिए, पर वह सीधे तौर पर न तो इसे स्वीकारती है और न ही इसे नकारती ही है. ऐसे में झारखंड बीजेपी के सामने यह प्रश्न है कि विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही चेहरा होंगे या किसी लोकल नेता को पार्टी आगे कर उसे वोकल करेगी. वैसे पार्टी के  नेता कहते हैं कि झामुमो को हराने के लिए ईडी का खुलासा ही काफी है.


16 मई को प्रदेश बीजेपी की बैठक
दरअसल, इन सब सवालों पर चर्चा करने लिए 16 मई को प्रदेश बीजेपी की पूरी कार्यसमिति एक दिन के लिए बैठक करेगी. इसमें प्रदेश पदाधिकारियों के अलावा कार्यसमिति के सभी सदस्य, जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी, सभी मोचों के पदाधिकारी आदि शामिल रहेंगे. मिली जानकारी के अनुसार पूरे राज्य में 30 मई से लेकर 30 जून तक बड़े स्तर पर जनसंपर्क अभियान चलेगा. इस दौरान होने वाले कार्यक्रमों में छोटी-छोटी गोष्ठियां, लाभुक सम्मेलन, प्रबुद्ध जनों से मुलाकात, सभी वर्गों के साथ अलग-अलग बैठकें शामिल हैं. केंद्र सरकार की उपलब्धियां और राज्य सरकार के भ्रष्टाचार को सभी बैठकों में ऊपर रखा जाएगा. वहीं प्रदेश बीजेपी के बड़े नेताओं के बीच सामंजस्य का अभाव है. अब भी वे कई धड़ों में बंटे हुए हैं. रांची आए केंद्रीय नेताओं ने अनौपचारिक रूप से इसको लक्ष्य कर कहा है कि यहां के कार्यकर्ता पार्टी के बड़े नेताओं से बहुत अच्छे हैं. 




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