Jharkhand News: टेरर फंडिंग मामले में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप (Dinesh Gope) की गिरफ्तारी के बाद उसकी मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं. एनआईए (NIA) ने टेरर फंडिंग के आरोप में दिनेश गोप के खिलाफ दर्ज केस को 19 जनवरी 2018 को टेकओवर किया था. फरार दिनेश गोप को एनआईए 5 साल 4 महीने बाद पकड़ने में सफल रही.  वहीं अब आंतकवाद निरोधक दस्ता (ATS) भी दिनेश गोप के खिलाफ प्राथमिकी (एटीएस कांड संख्या 2/2023) दर्ज की है. एटीएस भी दिनेश गोप को अपने कब्जे में लेकर पूछताछ करने की तैयारी में है.


मिली जानकारी के अनुसार एटीएस विशेष कोर्ट से जल्द ही दिनेश गोप के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट प्राप्त करेगा. प्रोडक्शन वारंट जारी होने के बाद आरोपी दिनेश गोप से एटीएस अपने मामले में पूछताछ करेगा. मौजूदा समय में दिनेश गोप एनआईए के कब्जे में है. एनआईए उससे टेरर फंडिंग मामले में पूछताछ कर रही है. बता दें कि, वह 30 मई तक एनआईए के कब्जे में है. पुलिस रिमांड की अवधि पूरी होने के बाद उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा. एनआईए अगर और पुलिस रिमांड की अवधि को बढ़ाती है तो एटीएस को उसे कब्जे में लेने के लिए इंतजार करना होगा.


बिहार में कुल 102 केस दर्ज
वहीं इससे पहले उसके खिलाफ झारखंड, ओडिशा और बिहार में कुल 102 केस दर्ज हैं. यह केस संख्या 103 है. सभी हत्या, अपहरण, फिरौती और लेवी वसूलने से जुड़े हैं. गौरतलब है कि दिनेश गोप के खिलाफ झारखंड के अलग-अलग थानों में 102 आपराधिक मामले दर्ज हैं. तकरीबन 2 दशक तक झारखंड में दहशत कायम करने वाले दिनेश गोप का राजधानी रांची और आसपास के जिलों में प्रभाव रहा है. बताया जाता है कि एक केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करवाने के एवज में दिनेश गोप से 2 करोड़ रुपये की ठगी भी कर ली गई थी.


नेपाल और मॉरिशस से देता था निर्देश
जानकारी के अनुसार दिनेश गोप सरेंडर करके राजनीति में आने का प्लान बना रहा था. इसी सिलसिले में एक बड़े राजनेता से मुलाकात करवाने का वादा कर उससे 2 करोड़ रुपये की ठगी कर ली गई. दिनेश गोप ने पिछले कुछ सालों से नेपाल और मॉरिशस को अपना ठिकाना बना लिया था और वहीं से संगठन को निर्देश देता था. इस बार पुख्ता जानकारी के आधार पर उसे पकड़ा गया.


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