Jharkhand Bandh: नियोजन नीति के खिलाफ आदिवासी छात्रों ने किया 'झारखंड बंद', CM सोरेन से की ये मांग
Ranchi: छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि राज्य की हेमंत सरकार 60-40 नियोजन नीति को लाकर यहां के आदिवासी मूलवासी छात्रों को गुमराह कर रही है.
Jharkhand News: हेमंत सोरेन सरकार (Hemant Soren) की नियोजन नीति के खिलाफ आदिवासी छात्र संगठन, झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन समेत विभिन्न छात्र संगठनों की ओर से आज झारखंड बंद का ऐलान किया गया है. दरअसल, राज्य में 60-40 नियोजन नीति को वापस कर झारखंडी हित में नियोजन नीति लागू करने की मांग को लेकर झारखंड बंद बुलाया गया है. यूनियन ने 72 घंटे के महाआंदोलन का ऐलान किया था. इसमें 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया गया, जबकि मंगलवार को जिला मुख्यालयों में मशाल जुलूस निकाला गया. वहीं आज यानी बुधवार को सम्पूर्ण झारखंड बंद करने का निर्णय लिया गया है.
दरअसल, हेमंत सरकार के 60-40 नियोजन नीति के खिलाफ और 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नियोजन नीति की मांग को लेकर अलग-अलग छात्र संगठनों एवं आदिवासी व मूलवासी छात्रों ने झारखंड बंद का ऐलान किया है. वहीं झारखण्ड बंद का उपराजधानी दुमका में जबरदस्त असर देखने को मिल रहा है. छात्र समन्वय समिति के नेतृत्व में दुमका के मुख्य चौक चौराहों और सड़क पर तेज गर्मी व धूप की परवाह किये बगैर सुबह से ही पारंपरिक यंत्रों के साथ सैकड़ों की संख्या में छात्र सड़क जाम करने के साथ आवागमन को पूरी तरह ठप करा दिया है. यहां वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैं. दुमका की तमाम दुकानें बंद हैं. बस अड्डे पर सन्नाटा पसरा हुआ है. यात्री परेशान है, एहतियात के तौर पर जगह-जगह पर मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में पुलिस बल तैनात किए गए हैं. हालांकि, अब तक शांतिपूर्ण बंदी की सूचना है.
स्थानीय छात्रों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़
ढोल-मांदर और पारंपरिक यंत्रों के साथ सड़क पर उतरे छात्रों ने 60-40 नाय चलतो और सीएम के खिलाफ नारेबाजी की. छात्र सरकार से 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति लागू करने की मांग कर रहे है. छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि राज्य की हेमंत सरकार 60-40 नियोजन नीति को लाकर यहां के आदिवासी मूलवासी छात्रों को गुमराह कर रही है. उन्होंने कहा कि बिहार, बंगाल, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में वहां स्थानीय युवकों को नौकरियों में प्राथमिकता दी जा रही है. वहीं दूसरे राज्यों के युवकों का आरक्षण का प्रतिशत भी कम है, तो झारखण्ड में स्थानीय छात्रों और बेरोजगार युवकों के भविष्य के साथ क्यों खिलवाड़ किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि झारखण्ड को अलग राज्य बने हुए 23 साल गुजर गए, लेकिन सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी ने नियोजन नीति के नाम पर यहां के युवाओं को ठगने और गुमराह करने का काम किया. किसी सरकार ने स्पष्ट नियोजन नीति नहीं बनाई.
छात्रों ने हेमंत सरकार को दी चेतावनी
श्यामदेव हेम्ब्रम ने आगे कहा कि 60 प्रतिशत आरक्षण तो पूर्व से ही है, लेकिन 40 प्रतिशत आरक्षण बाहरी लोगों को सरकार क्यों दे रही है. हेमंत सरकार एक तरफ झारखण्ड की खनिज संपदा को बाहर भेजने का काम कर रही है और दूसरी ओर बाहरी छात्रों को झारखण्ड में नौकरी देने का काम कर रही है. जिसे यहां के आदिवासी मूलवासी छात्र बर्दाश्त नहीं करेंगे. छात्र नेता राजीव बास्की ने कहा कि हेमंत सरकार ने झारखण्ड को चारागाह बना दिया है. कई बार हमने अपने हक व अधिकार के लिए संवैधानिक लड़ाई लड़ी, लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नही रेंग रही. उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार ने 60-40 नियोजन नीति को वापस नहीं लिया तो आने वाले समय मे आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी, जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी.