Jharkhand के इस मंदिर में परिवार के साथ विराजते हैं भोलेनाथ, हैरान करने वाली है नंदी की ये खास बात
Chatra Shiva Temple: चतरा जिले में भद्रकाली मंदिर है. मंदिर में शिव परिवार की बेहद प्राचीन प्रतिमाएं मौजूद हैं. सावन के महीने में पूजा करने के लिए यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है.
Jharkhand Chatra Bhadrakali Mandir: झारखंड (Jahrkhand) में एक ऐसा शिव मंदिर (Shiva Temple) है जहां भगवान भोलेनाथ पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं. भगवान शिव का ये अनोखा मंदिर झारखंड की राजधानी रांची (Ranchi) से करीब 158 किलोमीटर दूर है. चतरा (Chatra) जिले के इटखोरी प्रखंड में स्थित इस मंदिर का नाम भद्रकाली मंदिर (Bhadrakali Mandir) है. मंदिर में शिव परिवार की बेहद प्राचीन प्रतिमाएं मौजूद हैं. सावन के महीने में पूजा करने के लिए यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. सावन माह के अलावा साल भर यहां भक्त बड़ी संख्या में भगवान शिव की पूजा करने आते हैं. इतना ही नहीं, शिव मंदिर का प्राचीन प्रवेश द्वार 20 फीट ऊंचा है और यहां सहस्त्र शिवलिंगम, उमामहेश्वर और नंदी की प्रतिमाएं देखने लायक हैं.
नाग और नागिन देते हैं दर्शन
मंदिर में 18 टन की विशालकाय नंदी की अनोखी प्रतिमा अलग-अलग भाव प्रकट करती है. खास बात ये है कि, प्रतिमा को जिस कोन से देखा जाए वो अलग ही दिखाई देती है. यहां सांप और नीलकंठ पक्षी को देखने लिए भक्तों में अजीब कौतुहल भी देखने के मिलता है. मंदिर को लेकर जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि, ये स्थल करीब एक हजार साल से आस्था का केंद्र रहा है. लोगों का ये भी कहना है कि इस मंदिर में नाग-नागिन अक्सर दिखाई देते हैं जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.
युवराज सिद्धार्थ ने यहां की थी तपस्या
जानकार ये भी बताते हैं कि, शांति की खोज में निकले युवराज सिद्धार्थ ने यहां कई साल तक तपस्या की थी. यहां उनकी मां उन्हें वापस ले जाने आईं लेकिन जब सिद्धार्थ का ध्यान नहीं टूटा तो उनके मुख से इतखोई शब्द निकला जो बाद में इटखोरी में तब्दील हुआ. इस स्थान को जैन धर्मावलंबियों ने जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर भगवान शीतल नाथ स्वामी की जन्मभूमि की मान्यता दी है.
ये भी पढ़ें: