Jharkhand Naxalites: झारखंड में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से कराया गया मुक्त
Ranchi News: झारखंड में ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां सुरक्षाबल नहीं पहुंच सकते. CRPF के डीजी ने बताया कि 3 दशक से नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त करा लिया गया है.
Jharkhand Security Forces Operation Against Naxalites: नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने बड़ी सफलता हासिल की है. सेंट्रल रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की मानें तो बिहार से नक्सलियों का सफाया हो गया है. वहीं, बिहार (Bihar) और झारखंड (Jharkhand) में ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां फोर्स नहीं पहुंच सकती. सीआरपीएफ के डीजी ने ये जानकारी दी है. सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल कुलदीप सिंह (Kuldeep Singh) ने बताया कि नक्सल अभियान में सुरक्षाबलों ने इस साल भारी सफलता अर्जित की है. उन्होंने कहा कि हम कह सकते हैं कि अब बिहार राज्य नक्सल मुक्त है. रंगदारी गिरोह के रूप में इनकी थोड़ी बहुत मौजूदगी हो सकती है, लेकिन बिहार में अब ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां नक्सलियों का दबदबा हो.
बूढ़ा पहाड़ पर लगाए गए स्थाई कैंप
वहीं, दूसरी तरफ बिहार और झारखंड दोनों राज्यों में ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां सुरक्षाबल नहीं पहुंच सकते. सीआरपीएफ के डीजी ने बताया कि झारखंड में 3 दशक से नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत पूरी तरह से मुक्त करा दिया गया है. पहली बार हेलीकॉप्टर की मदद से वहां फोर्स भेजी गई है. सुरक्षाबलों के लिए स्थाई कैंप भी लगाए गए हैं. ये तीन अलग-अलग ऑपरेशनों के तहत किया गया है.
क्या कहते हैं आंकड़े
सीआरपीएफ के मुताबिक अप्रैल 2022 से अब तक 14 नक्सलियों को मार गिराया गया है. इनमें छत्तीसगढ़ में 7 नक्सली, झारखंड में 4 और मध्य प्रदेश में 3 नक्सली ऑपरेशन थंडरस्टॉर्म के तहत मारे गए हैं. वहीं, कुल 578 माओवादियों ने या तो आत्मसमर्पण किया है या फिर उन्हें गिरफ्तार किया गया है. बिहार में 36, छत्तीसगढ़ में 414, झारखंड में 110 और महाराष्ट्र में 18 नक्सली ने आत्मसमर्पण किया है.
नक्सल प्रभावित जिलों की घटी संख्या
सीआरपीएफ के मुताबिक वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में इस साल 77 फीसदी की कमी आई है. 2009 में नक्सलियों की तरफ से घटित घटनाओं की संख्या 2258 थी, जो पिछले साल में घटकर 509 हो गई है. इस साल जून तक सिर्फ 295 घटनाएं सामने आई हैं. वहीं मृत्यु दर में भी 85 फीसदी तक की कमी आई है. आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 35 थी. वहीं साल 2018 में 30 हो गई थी, जो अब घटकर 25 रह गई है.
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