(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jharkhand: झारखंड में पहली बार शुरू होने जा रही है 'नौका' एंबुलेंस, गंगा किनारे बसे लोगों को मिलेगा लाभ
Sahibganj: बोट एंबुलेंस को आधिकारिक रूप से 15 मई से सेवा में शामिल किया जाएगा. बता दें कि, एक एंबुलेंस का उपयोग राजमहल इलाके में और दूसरे एम्बुलेंस का साहिबगंज इलाके में इस्तेमाल किया जाएगा.
Jharkhand News: झारखंड में एयर एंबुलेंस के बाद पहली बार ‘नौका’ एंबुलेंस की शुरुआत होने जा रही है. ‘नौका’ एंबुलेंस सेवा की शुरुआत को लेकर राज्य सरकार की ओर से सारी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई. इस सर्विस से झारखंड के अलावा गंगा नदी के किनारे बसे बिहार के लोगों को भी बड़ी मदद मिलेगी. ‘नौका’ एंबुलेंस की मदद से सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को तत्काल बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल पाएगी.
साहिबगंज के उपायुक्त रामनिवास यादव ने कहा कि नदी के ‘दियरा’ क्षेत्र में कई पंचायत हैं. मानसून के दौरान इन इलाकों में पानी भर जाता है, जिससे वहां के लोगों को बहुत दिक्कत होती है. वहां से लोगों का संपर्क कट जाता है. उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान टीकाकरण सहित तमाम स्वास्थ्य कार्यक्रम ठप पड़ जाते हैं. इसलिए जिला प्रशासन लोगों को सुचारू स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए नौका एम्बुलेंस शुरू करने का फैसला लिया है.
58.34 लाख रुपये की लागत से हुआ तैयार
बता दें कि, साहिबगंज प्रशासन ने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (डीएमएफ) कोष से दो नौका एम्बुलेंस खरीदी हैं. नौकाएं शुक्रवार को साहेबगंज पहुंची थी. दोनों की कुल कीमत 58.34 लाख रुपये है. यानी एक नौका एम्बुलेंस की कीमत 29.17 लाख रुपये है. उपायुक्त ने कहा कहा कि अगर ऑक्सीजन सिलेंडर, ईसीजी उपकरण, मरीजों के लिए कैबिन, लैब टेक्नीशियन और अन्य सुविधाओं को शामिल करें तो प्रत्येक नौका एम्बुलेंस पर खर्च करीब 48 लाख रुपये पड़ेगा.
15 मई से शुरू होगी सेवा
उपायुक्त ने बताया कि, एंबुलेंस को आधिकारिक रूप से 15 मई से सेवा में शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि एक एंबुलेंस का उपयोग राजमहल इलाके में और दूसरी एंबुलेंस का साहिबगंज इलाके में इस्तेमाल किया जाएगा. देवघर में स्थापित एम्स के अलावा संताल परगना प्रमंडल इलाके में बमुश्किल ही कोई स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है. नौका एम्बुलेंस की मदद से मरीजों को आपात स्थिति में बिहार के पूर्णिया और पश्चिम बंगाल के माल्दा ले जाया जाएगा. फिलहाल, दियरा में अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उसे लकड़ी की नाव से गंगा पार करके अस्पताल ले जाना पड़ता है.