Jharkhand News: झारखंड के बरियातू रोड स्थित सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया है. जांच एजेंसी ने यह जमीन खरीदने वाले जगत बंधु टी इस्टेट के मालिक दिलीप घोष को भी गिरफ्तार किया है. दोनों की गिरफ्तारी बुधवार देर रात कोलकाता से हुई. इससे पहले दोनों से लंबी पूछताछ की गई थी. जांच एजेंसी गुरुवार को दोनों को रांची स्थित ईडी कोर्ट में पेश कर रिमांड पर देने की अपील करेगी. ताकि जमीन घोटाले में दोनों से पूछताछ की जा सके. इस मामले में ईडी ने दिलीप घोष को 10 मई को पूछताछ के लिए समन जारी किया था, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए. न ही पेश नहीं होने का कारण बताया और न ही समय की मांग की थी.
ईडी ने कोर्ट को बताया था कि, प्रदीप बागची ने जिस जगत बंधु टी इस्टेट के मालिक दिलीप घोष को यह जमीन बेची थी, उस कंपनी का अघोषित मालिक अमित अग्रवाल हैं. बागची ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज के आधार पर फर्जी रैयत बनकर 2021 में यह जमीन दिलीप घोष को सात करोड़ रुपये में बेची थी. जबकि उस वक्त जमीन की सरकारी दर 20 करोड़ रुपये थी. यही नहीं इसके लिए दिलीप घोष ने बागची के खाते में सिर्फ 25 लाख रुपये ट्रांसफर किए थे. शेष राशि का भुगतान फर्जी चेक के माध्यम से दिखाया गया था. यह पूरा मामला सामने आने के बाद ही ईडी ने दोनों को गिरफ्तार किया.
बीजेपी ने कही ये बात
वहीं इस गिरफ्तारी के बाद बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर जमकर हमला बोला है. बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कहा कि, 'झारखंड की सत्ता को चलाने वाला मशहूर बिचौलिया अमित अग्रवाल झारखंड ईडी की कार्रवाई में दूसरी बार गिरफ़्तार हुआ है. गहराई से जांच होगी तो न जाने कितने और सफेदपोश चेहरे एवं कई बेईमान पुलिस एवं प्रशासन के नौकरशाह बेनकाब होंगे, जो दलाल अमित को झारखंड की सत्ता का “गॉड फादर” और “सुपर मुख्यमंत्री” मानकर उसके आदेश पर सारे गलत काम किया करते थे. अब तो कई अफसर ही अनौपचारिक बातचीत में बताते हैं कि, अमित को लूटने एवं सत्ता को चलाने के साथ ही केश-मुक़दमा करवाने का ऐसा नशा चढ़ा हुआ था कि वह विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने के लिये छोटे-बड़े में कोई फ़र्क़ नहीं करता था. '
बाबूलाल मरांडी ने आगे कहा कि, 'अमित रांची आने पर कहां रहता था? किन लोगों से मिलता था? कौन-कौन अफ़सर उससे रात के अंधेरे में मिलने के लिये लाइन लगाते थे? अमित-प्रेम के अंगुलियों के इशारे पर नाचने एवं गलत करने वाले छवि रंजन अकेले नहीं थे. आगे जांच बढ़ेगी तो कई और बड़े चेहरे उजागर होंगे. अमित के स्वागत-सत्कार में पुलिस के दारोगा स्तर के अफसरों की अघोषित ड्यूटी एवं पुलिस की फ़ौज किसके कहने पर कौन लगाता था? ईडी अगर इन सब के बारे में सख़्ती से पूछताछ करे तो ऐसे सारे चेहरे बेनक़ाब होकर जेल जायेंगे, जिन्होंने दलाल-बिचौलियों की सांठगांठ से झारखंड को लूट कर रसातल में पंहुचा दिया है.'
छवि रंजन पहले ही हो चुके हैं गिरफ्तार
दरअसल, ईडी ने रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन और बड़गाई के राजस्व कर्मचारी सहित 18 लोगों के 22 ठिकानों पर 13 अप्रैल को छापेमारी की थी. इस दौरान बड़ी संख्या में जमीन के फर्जी डीड, मुहर और अन्य कागजात मिले थे. इस मामले में जांच एजेंसी ने 14 अप्रैल को सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इनमें राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद, बागची, अफसर अली, इम्तियाज खान, तल्हा प्रदीप खान, फैयाज खान व मो. सद्दाम शामिल हैं. उन पर इस जमीन के दस्तावेज में छेड़छाड़ करने का आरोप था. आरोप था कि इन्होंने कोलकाता रजिस्ट्री ऑफिस में भी दस्तावेज में फर्जीवाड़ा किया फिर प्रदीप बागची ने इसे दिलीप घोष को बेच दिया. इसके बाद लंबी पूछताछ के बाद चार मई को छवि रंजन को गिरफ्तार कर लिया गया था. इनकी गिरफ्तारी के बाद पता चला कि छवि रंजन ने अपने पद का दुरुपयोग किया. प्रेम प्रकाश के माध्यम से दलालों से घूस ली. ये सभी अभी जेल में हैं.