Jharkahnd News: झारखंड में सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की फर्जी तरीके से खरीद-बिक्री मामले में कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल व जगतबंधु टी इस्टेट के निदेशक दिलीप घोष को एक दिन पहले गिरफ्तार किया था.वहीं ईडी ने पांच दिनों की रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में आवेदन किया था. इसपर कोर्ट ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से फैसला सुनाते हुए तीन दिन के लिए रिमांड की मंजूरी दी है. 


दरअसल, ईडी ने कोर्ट में दिए रिमांड पिटीशन में बड़ा खुलासा किया है. इसमें कहा गया है कि सेना के कब्जे वाली जमीन खरीदने के लिए ही जगतबंधु टी इस्टेट नामक कंपनी बनाई गई. कंपनी के बैंक खाते में पता अमित अग्रवाल के ऑफिस का ही है. यह जमीन जिस टी इस्टेट के निदेशक दिलीप घोष को बेची गई. उसके तथाकथित मालिक अमित अग्रवाल ही हैं. जिस जमीन की 20 बाजार दर 20.75 करोड़ रुपये थी, उसे सिर्फ सात करोड़ रुपये में बेच दिया गया. जांच में पता चला इस कि जमीन बेचने वाले फर्जी रैयत प्रदीप बागची के खाते में सिर्फ 25 लाख रुपये ही ट्रांसफर किए गए.


कहां ट्रांसफर हुए रुपये


ईडी ने रिमांड आवेदन में आगे बताया गया कि सेना के कब्जे वाली जमीन को फर्जी तरीके से खरीदने वाला दिलीप घोष जगतबंधु टी इस्टेट का निदेशक है, जबकि अमित अग्रवाल इस कंपनी दूसरा संचालक है. इस कंपनी ने पांच सितंबर 2020 को आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में खाता नंबर 10060532973 खोला था. इस खाते से अमित अग्रवाल ने करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग की थी. इस खाते में 16 अक्टूबर 2020 से 25 जुलाई 2022 तक कुल 4 करोड़ 69 लाख 80 हजार रुपये जमा हुए और 4 करोड़ 13 लाख 87 हजार रुपये मेसर्स राजेश ऑटो मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिडेट के खाते में ट्रांसफर हो गए.


प्रदीप बागची को दिए गए 11 फर्जी चेक


यह कंपनी अमित अग्रवाल की है. जगतबंध टी इस्टेट के खाते में नकदी जमा करने वाले विकास जैन व दीपक साहा भी अमित अग्रवाल के ही कर्मचारी थे. इन दोनों कर्मियों ने भी ईंडी को पूछताछ में यह जानकारी दी थी. ईडी के मुताबिक सेना के कब्जे वाली जमीन खरीदने के लिए टी इस्टेट कंपनी ने अपने खाते से 11 फर्जी चेक प्रदीप बागची को दिए थे. इनमें एक चेक 25 लाख, 7 चेक 50 लाख, दो चेक एक करोड़ और एक चेक 1.25 करोड़ रुपये यानी कुल चेक सात करोड़ रुपये के थे. इसमें सिर्फ 25 लाख रुपये ही प्रदीप बागची के खाते में गए, शेष राशि जो भुगतान में दिखाया गया वह फर्जी था. इसके बाद भी प्रदीप बागची एल डीड में लिखा कि उसे जमीन की पूरी कीमत सात करोड़ रुपये मिल गए हैं. 






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