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Jharkhand में 1932 का खतियान लागू, विधानसभा में विधेयक लाएगी हेमंत सरकार, जानें बड़ी बातें 

Ranchi News: झारखंड सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में 1932 खतियान का प्रस्ताव पास कर दिया है. इसके तहत झारखंड में 1932 या इसके पूर्व के सर्वे के आधार पर रह रहे लोगों को स्थानीय माना जाएगा.

Jharkhand 1932 Khatian: झारखंड (Jharkhand) में पिछले कई वर्षों से स्थानीय नीति का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ था. कई सरकारें आई और गई मगर इस नीति पर कोई भी फैसला नहीं आया था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की कैबिनेट ने कल यानी 14 सितंबर को मंत्रिमंडल की बैठक में 1932 खतियान का प्रस्ताव पास कर दिया है. इसके तहत झारखंड में 1932 या इसके पूर्व के सर्वे के आधार पर रह रहे लोगों को स्थानीय माना जाएगा. जो भूमिहीन होंगे या जिनके पास खतियान नहीं होगा उनको ग्राम सभा से पहचान कर स्थानीय का दर्जा दिया जाएग. ग्राम सभा यहां के निवासियों के रहन-सहन, भाषा के आधार पर उसे स्थानीयता का मुहर दे सकती है. 

45 प्रस्तावों को दी गई मंजूरी 
बता दें कि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में कैबिनेट ने मंत्रिमंडल की बैठक में कुल 45 प्रस्ताव को मंजूरी दी. ओबीसी को झारखंड में 27 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर भी मुहर लगाई गई है. झारखंड पदों एवं सेवाओं के लिए उपयोग आरक्षण संशोधित विधेयक 2022 की मंजूरी दी गई है. ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा, अनुसूचित जाति को 12 पर्सेंट और अनुसूचित जनजाति को 28 प्रतिशत, ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. 

जानें स्थानीयता कानून लागू करने का नियम
अब इस विधेयक को विधानसभा में पारित कराने के बाद नौंवी अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. सरकार अब इस विधेयक को पारित कराने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी में जुट गई है. सूत्रों के अनुसार अगले हफ्ते विशेष सत्र आहूत करने की तैयारी की जा रही है. इस विशेष सत्र में 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति संबंधित विधेयक और एसटी-एससी, ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने संबंधित विधेयक को पारित कराया जाएगा. विधानसभा से पारित कराने के बाद दोनों विधेयकों को राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को भेजा जाएगा.

बीजोपी ने 1985 को माना था कटऑफ 
बता दें कि, इससे पहले बीजेपी की रघुवर सरकार ने 2016 में स्थानीयता नीति तय करने के लिए 1985 को कटऑफ डेट माना था. इसे ही बीजेपी सरकार ने लागू किया था. अभी ये नीति राज्य में लागू है. हेमंत सोरेन सरकार के इस फैसले का झारखंड में विरोध भी होने की संभावना है. यहां बड़ी संख्या में यूपी और बिहार के लोग वर्षों से रहते आ रहे हैं. 1932 खतियान की वजह से यूपी और बिहार से आकर बसे लोग स्थानीयता की पात्रता खो भी सकते हैं.

सियासी तौर पर मिल सकता है JMM को लाभ 
वैसे देखा जाए तो झारखंड में कई ऐसे चेहरे हैं जिन्होंने अपने काम से झारखंड का नाम रौशन किया है. जैसे महेंद्र सिंह धोनी, तीरदांज दीपिका कुमारी. कई ऐसे राजनेता भी हो सकते हैं जिनके पास 1932 का खतियान ना हो. यहां कई लोग जो बरसों से रहते आ रहे हैं, ऐसे में लोगों को विरोधी दल गोलबंद कर झारखंड की राजनीति को नई दिशा देने की कोशिश कर सकते हैं. हालांकि, इस विरोध से आदिवासी समुदायों की गोलबंदी और मजबूत होने की संभावना है. इसका फायदा झारखंड मुक्ति मोर्चा को मिल सकता है.

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