Jharkhand News: रांची पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री सह बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी के खिलाफ चार्जशीट दायर की है. दरअसल, अरगोड़ा थाने में 7 अगस्त 2021 को श्रम अधीक्षक अविनाश कृष्ण ने एफआईआर दर्ज कराई थी. अरगोड़ा थाने में दर्ज केस की जांच में पदाधिकारी डीएसपी रजतमणि बाखला ने दो साल के बाद बालश्रम प्रतिबंध अधिनियम और एसटी-एससी प्रताड़ना अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल की है. इसमें लिखा है कि, एक 12 वर्षीय बच्ची और उसका मंझला भाई सुनील तिवारी के घर पर ही रहते थे. उनके घर में चार कुत्ते थे, जिनकी पूरी देखभाल बच्ची का मंझला भाई करता था. बच्ची भी इन कुत्तों की साफ-सफाई व घरेलू काम करती थी.


केस में पुलिस ने तत्कालीन लालपुर थानेदार ममता कुमारी का बयान भी दर्ज कराया है. इसमें ममता ने कहा है कि वरीय पदाधिकारियों के निर्देशानुसार बच्ची को रेस्क्यू कर उसके घर वालों के साथ सीडब्लूसी में बयान दर्ज कराया गया था. इसके बाद एफआईआर दर्ज करायी गई थी. चार्जशीट में यह भी लिखा है कि सुनील तिवारी के खिलाफ दोनों धाराओं में आरोप सही पाया गया है. फिलहाल केस में सुनील तिवारी के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगायी गई है. चार्जशीट में जिक्र है कि पूरे मामले में रांची एसएसपी किशोर कौशल ने 17 जून को प्रतिवेदन-3 निकाला था. प्रतिवेदन में बालश्रम व एसटी-एससी एक्ट की संगत धाराओं के तहत आरोप को सही बताते हुए चार्जशीट का आदेश केस के जांच पदाधिकारी डीएसपी रजतमणि बाखला को दिया गया था.


नाबालिग के भाई ने आरोप को बताया झूठा


वहीं आरोप पत्र समर्पित करने के पूर्व मुआवजे के लिए प्रस्ताव समर्पित करने का आदेश भी केस के अनुसंधान पदाधिकारी को दिया गया. एक तरफ पुलिस ने जहां बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी पर चार्जशीट दायर की है, वहीं दूसरी तरफ 12 वर्षीय नाबालिग के भाई ने झारखंड हाई कोर्ट में आईए दायर कर पुलिस पर ही उलटा आरोप लगाया है. नाबालिग के भाई ने हाई कोर्ट को बताया है कि 15 अगस्त 2021 को पुलिस जबरन उनके घर से उनकी बहन व परिवार के सदस्यों को उठा ले गई थी. नाबालिग समेत पूरे परिवार को उठा ले जाने के बाद इस मामले में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करायी गई थी. हैवियस कार्पस भी फाइल किया गया था.


सीबीआई जांच की मांग


बच्ची के भाई के अनुसार पुलिस चाहती थी कि नाबालिग इस मामले में प्रताड़ना का केस करे. नाबालिग के भाई ने हाई कोर्ट को बताया कि उसके बड़े भाई ने भी सुनील तिवारी के खर्चों पर ही पढ़ाई पूरी की और अब चेन्नई में नौकरी कर रहा है. नाबालिग भी तब सेंट कुलदीप स्कूल में पढ़ाई करती थी. उसके ट्यूशन व तमाम पढ़ाई के खर्च भी सुनील तिवारी उठाते थे. नाबालिग के भाई ने कहा है कि सिर्फ राजनीतिक षड्यंत्र के कारण उसकी नाबालिग बहन का इस्तेमाल किया गया. सुनील तिवारी ने इस मामले में कहा है कि मामले की चार्जशीट की जानकारी मिली है. राजनीतिक कारणों से षड्यंत्र कर उनके खिलाफ मुकदमा किया गया था. सुनील तिवारी ने कहा है राज्य पुलिस ही नहीं, सीबीआई से जांच करा लें, हम बेदाग निकलेंगे. तिवारी ने कहा कि मैंने खुद इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग सरकार से की है.





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