Elephant Terror in Jharkhand: झारखंड (Jharkhand) के 15 से ज्यादा जिलों में हाथियों ने उत्पात मचा रखा है. पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया में जंगली हाथियों (Elephant) का खौफ अब इस कदर बढ़ गया है कि बच्चे स्कूल तक नहीं जा पा रहे हैं. मामला बड़ामारा पंचायत के रंगामटिया गांव का है. गांव के 50 से अधिक बच्चे पिछले 6 महीने से स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र नहीं जा पा रहे हैं. गांव के बच्चों को पढ़ाई के लिए टांगासोली प्राथमिक विद्यालय (Primary School) और नौनिहालों को जामडोहरी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र जाना होता है. टांगासोली स्कूल की दूरी गांव से 3 किलोमीटर और जामडोहरी आंगनबाड़ी केंद्र की दूरी गांव से लगभग 5 किलोमीटर है. ये पूरा क्षेत्र घने जंगलों (Forest) से घिरा है और यहां लगातार हाथियों की आमद देखने को मिलती है. 


घरों और फसलों को पहुंचाते हैं नुकसान 
हाथियों ता डर इद कदर है कि, अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल तक नहीं भेज रहे हैं. आमल ये है कि, पिछले 2 वर्षों में रंगामटिया गांव के आसपास के इलाके में हाथियों ने कई लोगों की जान ले ली है. ग्रामीणों का कहना है कि, जंगली हाथी ना सिर्फ रात में बल्कि दिन में भी उत्पात मचाते हैं. घरों और फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं.


हाथियों और इंसानों के बीच बढ़ा संघर्ष
बता दें कि, पिछले 2 से 3 वर्षों में हजारीबाग जिले में हाथियों ने सबसे ज्यादा उत्पात मचाया है. यहां इस साल अब तक हाथी 14 लोगों की जान ले चुके हैं. इसी तरह गिरिडीह में 9, लातेहार में 8, खूंटी में 5, चतरा, बोकारो और जामताड़ा में तीन-तीन लोग हाथियों के हमले में मारे गए हैं. झारखंड विधानसभा के बीते बजट सत्र में वन विभाग के प्रभारी मंत्री चंपई सोरेन ने हाथियों के उत्पात से जुड़े एक सवाल के जवाब में बताया था कि वर्ष 2021-22 में हाथियों द्वारा राज्य में जानमाल को नुकसान पहुंचाए जाने से जुड़े मामलों में वन विभाग ने एक करोड़ 19 लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान किया है. उन्होंने अपने जवाब में कहा था कि हाथियों और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ने के कई कारण हैं. जनसंख्या बढ़ने के कारण वन्यजीव का प्रवास क्षेत्र प्रभावित हुआ है. गांवों में मादक पेय पदार्थ बनाए जाते हैं, जिसकी महक हाथियों को आकर्षित करती है. इस कारण भी हाथियों की आदतों और भ्रमण के मार्ग में बदलाव आया है.


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