Jharkhand Latest News: झारखंड के सरायकेला (Saraikela) जिले के बुरुडीह में आदिवासी ग्रामीण इन दिनों प्रशासन के खिलाफ उतरे हुए हैं. सरायकेला जिला JMM का गढ़ है और इसी विधानसभा से झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन (Champai Soren) लगातार अपनी जीत दर्ज करते आ रहे हैं. जहां कुछ दिनों पहले सड़क निर्माण कार्य में हो रही गड़बड़ियों के खिलाफ ग्रामीणों ने एकजुटता दिखाई थी, वहीं अब मुख्यमंत्री द्वारा डिग्री कॉलेज की घोषणा किए जाने के बाद से ही लगातार ग्रामीण सरकार और सरकारी पदाधिकारी से नाराज देखे जा रहे हैं. यहां 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग भी विरोध के लिए सड़क पर उतरे हुए हैं.
ग्रामीणों के साथ आए सुरेश मुर्मू ने तमाम ग्रामीणों की आवाज बनने का प्रयास किया और 20 सूत्री अध्यक्ष छाया कांत गोराई से भीड़ गए. अपना विरोध दर्ज करते हुए उन्होंने कहा कि यह आदिवासियों का इलाका है. यहां आदिवासी बहुल क्षेत्र है . पुराना गांव है और बाजार से काफी दूर है लेकिन उसके बावजूद बिना ग्राम सभा के और ग्रामीणों की अनुमति के यहां कोई भी स्कीम चाहे वह राज्य सरकार की हो या केंद्र सरकार की कैसे आ सकती है.
कॉलेज बनने से छिन जाएगी हमारी जमीन- ग्रामीण
सुरेश मुर्मू ने कहा कि ग्राम प्रधान द्वारा कोई भी ग्राम सभा आयोजित नहीं की गई है जिसमें हम ग्रामीणों को भाग लेने का मौका मिला हो, हमारा विरोध इतना ही है कि ग्राम सभा हो और हमारे जैसे ग्रामीणों को भी अपनी बात रखने का मौका मिले. बुजुर्गों ने कहा कि इस डिग्री कॉलेज के बनने से हमारी जमीन छीन ली जाएगी हम बेघर हो जाएंगे.
बुजुर्गों ने कहा कि चंद किलोमीटर की दूरी पर राज्य सरकार की ओर से एक निजी विश्वविद्यालय बनवाया गया, जहां कई रायदारों की जमीन चली गई और आज तक उन्हें न ही मुआवजा मिला और ना ही कोई हक मिला, ठीक वैसा ही मामला यहां होने जा रहा है. सुरेश मुर्मू ने बताया कि यह इलाका बाजार से काफी दूर है और एकदम कोने में मौजूद है. अगर डिग्री कॉलेज बनाना ही है तो गांव के मध्य में बनाना चाहिए. इतनी दूर कोई भी जंगल के इलाके में पढ़ने नहीं आएगा.
'कॉलेज बनने से बंद हो जाएगा तालाब'
सुरेश मुर्मू ने बताया कि जब झारखंड के मुख्यमंत्री आदिवासी कल्याण मंत्री थे तो कुछ दिनों पहले ही एक सरकारी तालाब का निर्माण इसी जगह करवाया गया है जो डिग्री कॉलेज के लिए निर्धारित भूमि के अंदर आ रहा है जिसे भी पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि डिग्री कॉलेज बनाने के नाम पर बिना किसी अनुमति के बाहरी लोग गांव में प्रवेश कर जाते हैं. आदिवासी ग्रामीणों की अनुपस्थिति में पूरे गांव की फोटोग्राफी की जाती है जो कतई बर्दाश्त नहीं है.
दूसरी ओर गम्हरिया के अंचल अधिकारी कमल किशोर सिंह के साथ आए 20 सूत्री अध्यक्ष छाया कांत गोरी ने कहा कि कोई विरोध नहीं है बल्कि यहां के ग्रामीण झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के परिवार हैं. अगर कोई भी मामला इस तरह का आया है तो उसे ग्राम सभा में बैठकर निपटा लिया जाएगा
ये भी पढ़ें - झारखंड में जातीय सर्वेक्षण को मिली मंजूरी, अब कांग्रेस के मंत्री बन्ना गुप्ता ने दिया बड़ा बयान