Jharkhand CM Hemant Soren Slams Central Government: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि "हमारे विरोधी राजनीतिक तौर पर लड़ाई में हमारे सामने नहीं टिक पा रहे तो संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं. लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं. हमें यह कुर्सी विरोधियों ने नहीं बल्कि जनता ने दी है. आदिवासी का बेटा हूं. इनकी चाल से हमारा न कभी रास्ता रुका है, न हम लोग कभी इन लोगों से डरे हैं. हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ही हमारे मन से डर-भय को निकाल दिया है."


मुख्यमंत्री शुक्रवार को लातेहार के नेतरहाट स्थित टुटवापानी में सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के बीच परिसंपत्ति वितरण के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि "पिछले पांच महीने से मुझे सत्ता से हटाने के लिए लोग मेरा गला रेतने के लिए आरी (पेट काटने वाला हथियार) बना रहे हैं, लेकिन आरी बन ही नहीं पा रही है. लोग जो आरी बना रहे हैं, वह टूट जा रही है."


केंद्र के पास खनिज संपदा का इतना बकाया- सोरेन


सोरेन ने कहा कि "डबल इंजन की सरकार ने सरकारी खजाना खाली कर दिया. खनिज संपदा का एक लाख 36 हजार करोड़ बकाया भारत सरकार के पास है. हमने केंद्र से यह बकाया क्या मांगा, इन्होंने परेशान करने के लिए एजेंसियों को मेरे पीछे लगा दिया. लेकिन चिंता की कोई बात नहीं. संघर्ष और राज्य के प्रति समर्पण का भाव मेरे पिता आदरणीय गुरुजी में है, उसी समर्पण भाव के साथ मैं आप लोगों के बीच में हूं. हमारी ताकत आप ही हैं. और आपकी इसी ताकत से हम विरोधियों से लंबी लड़ाई बड़ी मजबूती से लड़ते हैं."


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पूर्व की बीजेपी सरकार पर बरसे सोरेन


उन्होंने भाजपा की पूर्ववर्ती सरकारों को निशाने पर लेते हुए कहा कि "नालायकों ने झारखंड का खजाना खाली करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है. राज्य में बाहरी तत्वों का गिरोह सक्रिय है. इसी गिरोह द्वारा राज्य को तहस नहस किया जा रहा था. लेकिन 2019 में जनता ने इन्हें बेदखल किया तो इनको बर्दाश्त नहीं हो रहा है. इसलिए सरकार गिराने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. लेकिन सफल नहीं हो पा रहे हैं. फिर भी तरह-तरह के षडयंत्र रच रहे हैं." सोरेन ने प्रधानमंत्री को आदिवासी विरोध करार देते हुए कहा कि "उन्होंने विश्व आदिवासी दिवस पर शुभकामनाएं तक नहीं दीं. वे शुभकामना नहीं देंगे, क्योंकि उन्हें आदिवासी के नाम से चिढ़ होती है. यहां के आदिवासी को वनवासी बोलते हैं."


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