Jharkhand News: झारखंड जमीन घोटाला मामले में ईडी द्वारा समन भेजे जाने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने कहा कि हमने राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन किया है. नाम इंडिया (INDIA) रखा है. इससे केन्द्र सरकार के हाथ-पांव फूल रहे हैं. इसके कारण गठबंधन के कद्दावर नेताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है. हमें एकजुट रहना है. मुख्यमंत्री ने ये बातें जमशेदपुर के कदमा में झामुमो के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष स्व निर्मल महतो की 36वीं पुण्यतिथि पर आयोजित सभा में कहीं. उन्होंने कहा कि, अगर हम लड़ते रहे तो कोई तीसरा फायदा उठा ले जाएगा. कुछ तिथियां इतिहास में पत्थर की लकीर की तरह होती हैं, आज वही दिन है. निर्मल महतो के रूप में हमने एक ऐसे व्यक्ति को खोया है, जिनकी जगह कोई नहीं ले सकता है. हमने उनके आदर्शों को अमर रखा है और जब तक झारखंड एवं झामुमो रहेगा, निर्मल महतो अमर रहेंगे.


वहीं स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता ने केन्द्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि, सीबीआई और ईडी हमारे मुख्यमंत्री को परेशान करने का हर प्रयास कर रही है पर कुछ कर नहीं पा रही है. उन्होंने आगे कहा कि, हम एक ऐसे सीएम के साथ काम करते हैं, जो न थकता है न हारता है. हमारे यशस्वी सीएम की गली- गली में चर्चा है. उन्होंने विभिन्न योजनाओं का जिक्र करते हुए सरकार की उपलब्धियों का बखान किया. गौरतलब है कि हेमंत सोरेन को यह समन ईडी से जुड़े जमीन घोटाले के ईसीआईआर संख्या 25/23 में किया गया है. जानकारी के मुताबिक, ईडी ने रांची में जमीन घोटाले से जुड़े मामले में 9 फरवरी और 15 फरवरी को बड़गाई अंचल का सर्वे किया था. इसके अलावा कोलकाता के रजिस्ट्रार आफ एश्योरेंस कार्यालय का भी सर्वे किया गया था. 


किस मामले में हुई कार्रवाई?
इसके बाद ईडी ने 13 अप्रैल व 24 अप्रैल को जमीन घोटाले में छापेमारी की थी. जमीन घोटाले में सीएमओ में कार्यरत उदय शंकर के यहां छापेमारी के दौरान कई सारे दस्तावेज ईडी को मिले थे. उस छापे के बाद ईडी ने जमीन मालिकों और सरकारी पदाधिकारियों का बयान अलग-अलग तारीखों में दर्ज किया था. ईडी ने जांच में आए तथ्यों के आधार पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को समन किया है. रांची में ईडी ने जांच में ऐसी कई आदिवासी प्रकृति की जमीनों को चिन्हित किया है, जिस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व उनके परिवार का कब्जा रहा है. ईडी ने इस मामले में ईसीआईआर 25/23 दर्ज किया है. जानकारी के मुताबिक, ईडी ने ऐसी कई जमीनों की जानकारी जुटायी है, जिसका विवरण चुनावी हलफनामे में नहीं है.



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