(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jharkhand: गलवान के शहीद गणेश हांसदा की मां को CM हेमंत सोरेन ने सौंपा नियुक्ति पत्र, जानें बड़ी बात
Jamshedpur News: गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से लोहा लेते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद गणेश हांसदा (Ganesh Hansda) की मां को सीएम हेमंत सोरेन ने नियुक्ति पत्र प्रदान किया है.
Jharkhand Ganesh Hansda Martyr of Galwan: गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सेना से लोहा लेते शहीद हुए झारखंड (Jharkhand) के बहरागोड़ा निवासी गणेश हांसदा (Ganesh Hansda) के परिवार का सीएम हेमंत सोरेन से सम्मान किया और कहा कि, ''गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से लोहा लेते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले झारखंडी माटी के वीर पुत्र, वीर शहीद गणेश हांसदा जी की मां श्रीमती कापरा हांसदा जी को नियुक्ति पत्र प्रदान करने का परम सौभाग्य मिला है.'' गणेश हांसदा की याद में उनके घर के लोगों ने साढ़े 22 लाख रुपये खर्च कर खूबसूरत स्मृति पार्क (Memorial Park) और स्कूल (School) का निर्माण कराया है.
आम लोगों के लिए खुला पार्क
पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत बहरागोड़ा के कोसाफलिया गांव में बनाया गया ये पार्क उनकी शहादत की दूसरी बरसी पर बीते 16 जून को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. पार्क का निर्माण गणेश हांसदा की शहादत पर सरकार और सेना से मिली राशि से किया गया है. इतना ही नहीं, गांव में पेयजल की समस्या (Water Problem) को दूर करने के लिए शहीद का परिवार 20 हजार लीटर की क्षमता वाली पानी की टंकी का भी निर्माण करा रहा है.
गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से लोहा लेते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले झारखण्डी माटी के वीर पुत्र, वीर शहीद गणेश हांसदा जी की माँ श्रीमती कापरा हांसदा जी को आज नियुक्ति पत्र प्रदान करने का परम सौभाग्य मिला।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) June 26, 2022
झारखण्ड के वीर शहीद अमर रहें!
जय झारखण्ड! pic.twitter.com/YBUhxZWalK
मात्र 23 वर्ष की उम्र में हुए शहीद
मात्र 23 वर्ष की उम्र में शहीद हुए गणेश हांसदा के पिता सुबदा हांसदा किसान और मां गृहणी हैं. बड़े भाई दिनेश हांसदा गांव में ही रहकर खेती-बाड़ी करते हैं. दिनेश बताते हैं कि हम लोग उसकी शादी की तैयारी कर रहे थे. मां ने उसके लिए लड़की भी देखी थी. हम सभी को खुशी के इस मौके का इंतजार था, लेकिन 16 जून 2020 को गलवान घाटी से उसकी शहादत की खबर आई तो हमारे पांव के नीचे की जमीन खिसक गई. शहादत के 3 दिन बाद जब गणेश हांसदा ताबूत में तिरंगे में लिपटकर आए थे तो उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोग उमड़ पड़े थे. उसी रोज उनके घर के लोगों ने संकल्प लिया था कि गांव की माटी में शहीद बेटे की स्मृति में अमर निशानी बनाएंगे. शहादत के ठीक 2 साल बाद पार्क में उनकी प्रतिमा का अनावरण हुआ, तब मां-पिता, भाई सबकी आंखें नम हो गईं.
बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं लोग
गांव में बनाया गया स्मृति पार्क बेहद खूबसूरत है. यहां शहीद गणेश हांसदा के साथ-साथ भारत माता की प्रतिमा, शहीद वेदी और अमर जवान ज्योति का प्रतीक भी बनाया गया है. एक छोटा सा म्यूजियम भी बनाया गया है, जहां लोगों को जवानों की शहादत की स्मृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा.
इस पार्क का लोकार्पण बीते 16 जून को कैबिनेट मंत्री चंपई सोरेन के हाथों हुआ था. इसके बाद से हर रोज बड़ी संख्या में लोग स्मृति पार्क पहुंच रहे हैं. पार्क की हरियाली, यहां लगाए गए तरह-तरह फूल और खूबसूरत सज्जा लोगों को खूब लुभा रही है.
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