Jharkahnd News: झारखंड मनरेगा परिषद की बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, इस योजना में कुछ समस्याएं भी हैं. केंद्र सरकार से इस योजना के मद में समय पर पैसा नहीं मिलता. इससे योजना के लाभुकों में निराशा होती है, योजना लटकती है. इसके समाधान की जरूरत है. वैसे राज्य सरकार ने इस विषय को नीति आयोग के सामने रखने का निर्णय लिया है. इससे पहले सीएम ने गुरुवार को झारखंड ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद की समीक्षा बैठक में मनरेगा को राज्य की ग्रामीण अर्थ व्यवस्था की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए इसकी निगरानी और पारदर्शिता पर जोर दिया. 


सीएम ने कहा कि, योजना समय से पूरी हो और लाभुक विचौलियों के चंगुल में न फंसें, इसके लिए उन्हें भी एकाउंटेबल बनाया जाए. उन्होंने डीसी को मनरेगा की जिला योजना का समन्वयक बनाने पर भी स्वीकृति दी है. सीएम ने कहा कि, मनरेगा में मजदूरी करने वालों के लिए भी सामाजिक सुरक्षा के तहत सहायता अनुदान का प्रावधान है. इसकी उन्हें जानकारी हो इसके लिए बड़े स्तर पर प्रचार प्रसार करें. हेमंत सोरेन ने कहा कि मनरेगा के तहत पंचायतों में चल रही योजनाओं का सोशल ऑडिट सतत होना चाहिए. इससे गड़बड़ी व लापरवाही पर अंकुश लगेगा. 


अधिकारियों को दिए ये निर्देश
दोषियों पर भी कार्रवाई हो सकेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना के तहत जो खेल मैदान विकसित किए जा रहे हैं. उसके चारों और वृक्षारोपण कराएं. ज्यादा से ज्यादा योग्य लाभुकों को वन पट्टा मिल सके इसके लिए मिशन मोड में कार्य करें. समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 50000 एकड़ जमीन पर फलदार वृक्ष लगाने का निर्देश दिया. बैठक में राज्य ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद की हर तीन माह पर बैठक करने का निर्णय लिया गया. वहीं चूआं और छोटे-छोटे झरने के पानी की स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ाने और उसके समुचित इस्तेमाल के लिए कार्य योजना बनाने का अधिकारियों को निर्देश दिया गया.




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