Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति और ओबीसी सहित अन्य वर्गों की आरक्षण सीमा को बढ़ाने  संबंधी बिल  को संविधान की नौवीं अनुसूचि में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेजने  का आग्रह करने को लेकर राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) से मुलाकात की.


इस मुलाकात के बात सीएम सोरेन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एक साजिश के तहत राज्य के मूलवासी, आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्गों के अधिकारों को छीना जा रहा है. विरोधियों की इस साजिश को सरकार किसी भी कीमत पर पूरा नहीं होने देगी. उन्होंने कहा कि जल्द ही सरकार राज्य में नियुक्तियों को लेकर वैकल्पिक व्यवस्था करने पर विचार कर रही है. इसका सकारात्मक परिणाम जल्द ही देखने को मिलेगा.


प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं हुई बीजेपी
सीएम सोरेन ने बताया कि इस प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी को छोड़कर सभी दलों ने राज्यपाल से मुलाकात की. इस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, आरजेडी, सीपीएम, आजसू, जेएमएम  और वामदल समेत अन्य राजनीतिक दल के नेताओं ने भी शिरकत की. सीएम ने कहा कि राज्यपाल से मुलाकात का कारण पिछले दिनों झारखंड हाईकोर्ट द्वारा राज्य की नियोजन नीति को रद्द करना है.


नियोजन नीति रद्द करना दुर्भाग्यपूर्ण
सीएम ने कहा कि वर्तमान सरकार ने मूलवासी और आदिवासियों के हक के लिए नियोजन नीति बनाई थी, लेकिन उसे रद्द कर दिया गया, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. सीएम ने कहा कि नियोजन नीति को लेकर कोर्ट में जिन लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई थी उसमें 20 में से 19 लोग बाहरी राज्यों से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी शक्तियां हैं जो मूलवासी-आदिवासियों के अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही हैं.


सीएम ने कहा कि हमने नवंबर माह में 1032 आधारित नियोजन नीति और ओबीसी आरक्षण बिल पास किया. इन्हें मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया है. विधेयक में निवेदन था कि इसे नौवीं  अनुसूची में डाला जाए ताकि मूलवासी-आदिवासियों के खिलाफ हो रही साजिश को खत्म किया जा सके.


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