Jharkhand News: नीति आयोग के साथ CM हेमंत सोरेन की बैठक, बोले- FCI से नहीं मिल रहा अनाज इसलिए...'
Ranchi: सीएम ने कहा, फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा अनाज उपलब्ध नहीं कराया जाता है. इसलिए राज्य सरकार राशन कार्डधारियों के लिए अनाज सरकार को बाजार से खरीदना पड़ता है.
Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने बुधवार को नीति आयोग की टीम के साथ बैठक की. इस दौरान सीएम ने संघीय ढांचे की मजबूती किे लिए जरूरी है कि, केंद्र और राज्यों की सर्वागीण विकास हो. केंद्र और राज्य सरकारें एक दूसरे का सहयोग करें, तभी विकास के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं उसे हासिल कर सकते हैं. वहीं सीएम ने फूड सिक्योरिटी को लेकर कहा कि, हम एफसीआई (FCI) से अनाज लेना चाहते हैं, लेकिन FCI राज्य सरकारों को अनाज नहीं दे रहा है. हमें भी अनाज नहीं मिल रहा जिसका नतीजा है कि हमें खुले बजार से महंगे दामों पर अनाज लेकर गरीब लोगों को देना पड़ रहा है. हमारे साथ भी ऐसा हो रहा है. हमें जानकारी मिली है कि, कई अन्य राज्यों के साथ भी ऐसा हो रहा है. यह चिंता का विषय है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा लाभुकों का जितना कोटा तय है, उससे कहीं ज्यादा लाभुकों को राशन की जरूरत है. इसलिए राज्य सरकार ने अपने स्तर पर राशन कार्ड जारी किए हैं, लेकिन राज्य सरकार के राशन कार्डधारियों के लिए अनाज सरकार को बाजार से खरीदना पड़ता है. फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा अनाज उपलब्ध नहीं कराया जाता है. ऐसे में नीति आयोग केंद्र सरकार के पास झारखंड की इस मांग को रखे कि राशन कार्डधारियों के लिए भी राज्य सरकार को एफसीआई से अनाज उपलब्ध कराया जाए.
हम FCI से अनाज लेना चाहते हैं लेकिन FCI राज्य सरकारों को अनाज नहीं दे रहा है। हमें भी अनाज नहीं मिल रहा जिसका नतीजा है कि हमें खुले बज़ार से महंगे दामों पर अनाज लेकर गरीब लोगों को देना पड़ रहा है। हमारे साथ भी ऐसा हो रहा है। हमें जानकारी मिली है कि कई अन्य राज्यों के साथ भी ऐसा… pic.twitter.com/cqKwOxfKfY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 12, 2023
राज्य सरकार ने रखे ये मुद्दे
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कोयला मंत्रालय से जुड़े मामलों में कोल कंपनियों द्वारा जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजा और कोयले पर राज्य सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी से जुड़े मुद्दे को विशेष रूप से रखा. मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न कोयला कंपनियों का जमीन अधिग्रहण को लेकर लगभग 80 हज़ार करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाना है, लेकिन मात्र 2,532 करोड़ रुपये राज्य सरकार और रैयतों को मुआवजा दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोल कंपनियां जो भी जमीन अधिग्रहित करती हैं, उसका मुआवजा मिलना चाहिए, भले ही उस पर खनन कार्य शुरू नहीं हुआ हो. इस पर कोयला मंत्रालय की ओर से पक्ष रखा गया.
वहीं नीति आयोग के सहयोग से यह सहमति बनी कि कोल कंपनियां कितनी जमीन अधिग्रहित कर चुकी हैं और कितना मुआवजा वितरित किया गया है, इसकी पूरी रिपोर्ट जल्द देगी. मुख्यमंत्री ने कोयला पर मिलने वाली रॉयल्टी बढ़ाने की मांग रखी और कहा कि राज्य सरकार को ज्यादा से ज्यादा कोल रॉयल्टी मिलनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में खनन कर रही कोल कंपनियां जब तक किसी कोल माइंस में पूरी तरह उत्पादन बंद करने का सर्टिफिकेट नहीं देती हैं तब तक नई जगह पर वह कोल खनन नहीं करें. मुख्यमंत्री ने कोयला खदानों में लगी भूमिगत आग के मुद्दे को भी रखा.