सीएम सोरेन बोले- दी गई जमीनों का इस्तेमाल करें उद्योग घराने, इन्हीं पर टिकी हैं विकास की उम्मीदें
Jharkhand News: सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने कहा है कि, यदि सरकार औद्योगिक घरानों को जमीन देती है, तो उन्हें इसका उपयोग उद्योग स्थापित करने के लिए करना चाहिए, इसे खाली ना छोड़ें.
Industry in Jharkhand: झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने उद्योग घरानों से कहा है कि वो इकाइयों की स्थापना के लिए जमीन के इस्तेमाल की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करें. उन्होंने कहा कि जमीनों को खाली नहीं छोड़ा जाए, क्योंकि विकास की उम्मीदें और आकांक्षाएं इन्हीं पर टिकी हैं. सीएम सोरेन ने सोमवार को बोकारो के बालीडीह में डालमिया भारत के सीमेंट संयंत्र की दूसरी इकाई की आधाशिला रखते हुए कहा कि राज्य के चौतरफा विकास के लिए निवेश (Investment) आकर्षित करना और रोजगार (Employment) पैदा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. डालमिया भारत की इस इकाई पर 567 करोड़ रुपये का निवेश होगा.
गरीब किसानों, जरूरतमंदों ने अपनी जमीनें दी हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि, ''यदि सरकार औद्योगिक घरानों को जमीन देती है, तो उन्हें इसका उपयोग उद्योग स्थापित करने के लिए करना चाहिए. इसे खाली ना छोड़ें या इसके अतिक्रमण की अनुमति नहीं दें. गरीब किसानों, जरूरतमंदों और अन्य लोगों ने अपनी जमीनें दी हैं. उन्हें उम्मीद रहती है कि उद्योग लगने के बाद उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे और वो सशक्त हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि नई औद्योगिक नीति के तहत सरकार की प्राथमिकता प्रदेश में अधिकतम पूंजी निवेश लाना है.
निवेश की प्रतिबद्धता की ओर अग्रसर झारखण्ड। पर्यावरण, उद्योग, बुनियादी ढांचे, कौशल निर्माण पर विशेष जोर के साथ राज्य स्थिर विकास के नए दौर में प्रवेश कर रहा है। सरकार के सहयोग से MoU के महज तीन माह के भीतर ही #बोकारो में @DalmiaBharat की नयी ग्राइंडिंग यूनिट का शिलान्यास हुआ। pic.twitter.com/DrQYNOx6Gn
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) December 6, 2021
एक वर्ष में पूरा होगा निर्माण कार्य
बता दें कि, राज्य सरकार ने सीमेंट संयंत्र के लिए बोकारो के बालीडीह औद्योगिक क्षेत्र में 16 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई है. राज्य सरकार के साथ हुए करार के मुताबिक कंपनी यहां कुल 567 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. बताया गया है डालमिया कंपनी द्वारा स्थापित किए जाने से संयंत्र से प्रति वर्ष 2.0 मिलियन टन का उत्पादन होगा. संयंत्र का निर्माण एक वर्ष के अंदर पूर्ण होने की संभावना जताई गई है.
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