Jharkhand Leaders Suspension: कांग्रेस ने 4 नेताओं को 6 साल के लिए किया निलंबित, इसलिए लिया गया फैसला
झारखंड कांग्रेस ने राज्य के महासचिव आलोक दुबे और डॉ.राजेश गुप्ता समेत 4 नेताओं को 6 साल के लिए निलंबित कर दिया है. इन नेताओं पर अनुशासन समिति की चेतावली के बावजूद पार्टी का अनुशासन तोड़ने का आरोप है.
Jharkhand Congress Leaders Suspension: झारखंड कांग्रेस ने अपने चार नेताओं को पार्टी से निलंबित कर दिया है. पार्टी ने राज्य के महासचिव आलोक दुबे और डॉ.राजेश गुप्ता समेत 4 नेताओं को 6 साल के लिए निलंबित कर दिया है. कुछ महीने पहले अनुशासन समिति ने राज्य नेतृत्व के खिलाफ गतिविधियों के आरोप में आलोक दुबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव, डॉ राजेश गुप्ता और साधु शरण गोप को निलंबित करने की सिफारिश की थी. बता दें कि पार्टी का अनुशासन तोड़ने के चलते इन नेताओं पर पार्टी ने सख्त कार्रवाई की है.
दरअसल झारखंड कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता रहे लालकिशोर नाथ शहदेव, आलोक दूबे और राजेश गुप्ता ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर पर कार्यकर्ताओं की बात न सुनने का आरोप लगाया था. इससे पहले प्रदेश कांग्रेस की अनुशासन समिति ने पार्टी कार्यकर्ताओं को तमाम नियम और मर्यादाएं समझाई थी.
इस वजह से हुआ 4 नेताओं का निलंबन
पार्टी प्रभारी अविनाश पांडेय ने पार्टी कार्यकर्ताओं को किसी भी पदाधिकारी के खिलाफ सार्वजनिक मंच से बयानबाजी न करने या आरोप न लगाने की सलाह दी थी. समिति की तरफ से चेतावनी दी गई थी कि पार्टी का अनुशासन तोड़ने वाले नेताओं पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके बावजूद भी जब महासचिव आलोक दुबे और डॉ.राजेश गुप्ता समेत 4 नेताओं ने अनुशासन तोड़ा तो अनुशासन समिति ने पार्टी के आगे इन्हें निलंबित किए जाने की मांग रखी जिसके बाद अब पार्टी ने आलोक दुबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव, डॉ राजेश गुप्ता और साधु शरण गोप को 6 साल का निलंबन नोटिस जारी कर दिया है.
लंबे अरसे से थामे हुए थे कांग्रेस का 'हाथ'
इससे पहले पार्टी ने एक बैठक की थी जिसके तहत बयानबाजी करने वाले नेताओं से 14 दिन में जवाब मांगा गया था. इनमें से दो नेताओं के जवाब और माफी मांगने से संतुष्ट होकर पार्टी ने उन्हें माफ कर दिया था. वहीं शेष चार नेताओं को निलंबित किए जाने का निर्णय लिया गया. जानकारी के मुताबिक निलंबन प्रक्रिया में इसलिए समय लगा क्योंकि आरोपित नेता एक लंबे अरसे से पार्टी के साथ थे और ऐसे में उनके पार्टी से बाहर करने का निर्णय लेना एक कठिन काम था.
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