खरीद-फरोख्त की आशंका के बीच रायपुर पहुंचे झारखंड के विधायक, सीएम भूपेश बघेल ने की मुलाकात
Jharkhand Political Crisis: झारखंड में सत्तारूढ़ UPA के विधायक विशेष विमान में छत्तीसगढ़ पहुंचे. यहां रायपुर पहुंचने पर सीएम भूपेश बघेल ने उनसे मुलाकात की.
Jharkhand Political Crisis: झारखंड में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के विधायक विशेष विमान में छत्तीसगढ़ पहुंचे. राज्य में जारी राजनीतिक संकट के बीच यह कदम भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कथित खरीद फरोख्त के प्रयासों से बचने के लिए उठाया गया. सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
करीब 40 विधायकों को लेकर एक विशेष उड़ान शाम करीब साढ़े चार बजे रांची हवाई अड्डे से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के लिए रवाना हुई. उड़ान करीब 5.30 बजे रायपुर हवाई अड्डे पर पहुंची. इक्यासी सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं. वहीं इन विधायकों के रायपुर पहुंचने पर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने उनसे मुलाकात की. विधायकों के साथ क़रीब 45 मिनट की मुलाक़ात के बाद सीएम भूपेश बघेल निकले. ये विधायक, मेफेयर गोल्फ रिजॉर्ट में ठहरे हुए हैं.
यह आश्चर्यजनक कदम नहीं- सोरेन
वहीं मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हवाई अड्डे से बाहर आने के बाद कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक कदम नहीं है. यह राजनीति में होता है. हम किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं.’’ विधायक सोरेन के आवास से दो बसों में निकले और उनमें से एक बस में आगे की सीट पर खुद सोरेन सवार थे. वह बिरसा मुंडा हवाई अड्डे में कुछ देर रहने के बाद बाहर आए.
सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का मानना है कि बीजेपी ‘‘महाराष्ट्र की तरह’’ सरकार गिराने के लिए उसके और कांग्रेस से विधायकों की खरीद फरोख्त के लिए गंभीर प्रयास कर सकती है और विधायकों को ‘सुरक्षित जगह’’ में रखने की आवश्यकता है. लाभ के पद के मामले में सोरेन को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की बीजेपी की याचिका के बाद, निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को राज्य के राज्यपाल रमेश बैस को अपना फैसला भेज दिया है.
निर्वाचन आयोग ने अभी तक आधिकारिक तौर पर नहीं दी जानकारी
हालांकि, निर्वाचन आयोग के फैसले को अभी आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया गया है, लेकिन चर्चा है कि निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है. राजभवन ने इस मामले में अभी तक कुछ भी घोषणा नहीं की है. संप्रग विधायकों ने राज्यपाल से इस भ्रम को दूर करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि वे किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं.
संप्रग के घटक दलों - झामुमो, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) - ने 28 अगस्त को एक संयुक्त बयान में राज्यपाल पर मुख्यमंत्री की विधानसभा की सदस्यता पर निर्णय की घोषणा में ‘‘जानबूझकर देरी’’ करके राजनीतिक खरीद-फरोख्त को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया था. इससे पहले 27 अगस्त को भी अटकलें लगाई जा रही थीं कि संप्रग विधायक पश्चिम बंगाल या छत्तीसगढ़ में किसी अज्ञात स्थान पर जाएंगे, क्योंकि विधायक बैठक के लिए मुख्यमंत्री आवास में सामान के साथ दाखिल हुए थे.
उस दिन बाद में, वे तीन बसों में रांची से छत्तीसगढ़ की सीमा के पास लतरातू (खूंटी जिला) के लिए रवाना हुए और शाम तक राज्य की राजधानी लौट आये. झारखंड मंत्रिमंडल की बैठक एक सितंबर को शाम 4 बजे होनी है. झारखंड में झामुमो सबसे बड़ी पार्टी है और उसके पास 30 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के 18 और राजद का एक विधायक है. मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के सदन में 26 विधायक हैं.
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