Jharkhand Sarna Tribal Religion: भारत की जनगणना के फॉर्म में आदिवासी धर्मावलंबियों के लिए सरना धर्म कोड (Sarna Religion Code) की मांग एक बार फिर तेज हो रही है. इस मुद्दे पर आंदोलित आदिवासी सेंगेल अभियान नाम के संगठन ने आगामी 30 नवंबर को झारखंड (Jharkhand) समेत बिहार, बंगाल, ओडिशा और असम में रेलवे ट्रैक जाम करने की चेतावनी दी है. संगठन ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात का समय मांगा था. इस बीच पीएमओ (PMO) ने आदिवासी सेंगेल के प्रमुख पूर्व सांसद सालखन मुर्मू (Salkhan Murmu) को सूचित किया है कि वो इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात करें. माना जा रहा है कि गृह मंत्री से मुलाकात के बाद आदिवासियों की इस बहुप्रतीक्षित मांग पर सहमति का रास्ता निकल सकता है. 


मिले विशिष्ट पहचान
दरअसल, भारत में जनगणना के लिए जिस फॉर्म का इस्तेमाल होता है, उसमें धर्म के कॉलम में जनजातीय समुदाय के लिए अलग से विशेष पहचान बताने का ऑप्शन नहीं है. जनगणना में हिंदू, इस्लाम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन को छोड़कर बाकी धर्मों के अनुयायियों के आंकड़े अन्य (अदर्स) के रूप में जारी किये जाते हैं. आंदोलित आदिवासियों का कहना है कि वो सरना धर्म को मानते हैं, उनकी पूरे देश में बड़ी आबादी है. उनके धर्म को पूरे देश में विशिष्ट और अलग पहचान मिले, इसके लिए जनगणना के फॉर्म में सरना धर्म कोड का कॉलम जरूरी है.


कई बार हो चुके हैं आंदेलन 
सरना धर्म कोड की मांग से झारखंड में आदिवासी समुदाय के लोग भावनात्मक तौर पर जुड़े हैं. पिछले तीन दशकों से लेकर इसे लेकर कई बार आंदोलन हुए हैं और ये अब बड़ा सियासी मुद्दा बन चुका है. वर्ष 2020 में हेमंत सोरेन की सरकार ने 11 नवंबर को झारखंड की विधानसभा का एक विशेष सत्र आहूत कर जनगणना में सरना आदिवासी धर्म के लिए अलग कोड दर्ज करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था.


बीजेपी ने भी किया समर्थन 
झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद की संयुक्त साझेदारी वाली सरकार की तरफ से विधानसभा में लाये गये इस प्रस्ताव का राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने भी समर्थन किया था. इस प्रस्ताव को पारित किये जाने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि जनगणना में सरना आदिवासी धर्म कोड के लिए अलग से कॉलम बनाये जाने से आदिवासियों को स्पष्ट पहचान मिलेगी. जनगणना के बाद सरना आदिवासियों की जनसंख्या का स्पष्ट पता चल पायेगा. उनकी भाषा, संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण और संवर्धन हो पायेगा. इसके साथ ही आदिवासियों को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों, केंद्रीय योजनाओं समेत भूमि संबंधी अधिकारों में भी लाभ होगा.


निकल सकता है सकारात्मक हल 
बहरहाल, झारखंड विधानसभा से पारित ये प्रस्ताव पिछले दो साल से केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के पास विचाराधीन है. इसपर निर्णय ना होने पर आदिवासी सेंगेल अभियान संगठन ने आगामी 30 नवंबर से पांच राज्यों में रेलवे का चक्का जाम करने का एलान किया है. संगठन के प्रमुख और बीजेपी के पूर्व सांसद सालखन मुर्मू इस मांग पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिल चुके हैं. सालखन मुर्मू ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि केंद्रीय गृह मंत्री से होने वाली मुलाकात में इस मुद्दे पर सकारात्मक हल निकल सकता है.


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