Jharkhand News: बसंत ऋतु के आते ही झारखंड (Jharkhand) के संताल परगना क्षेत्र के कई जिलों में लोगों द्वारा पहाडियों में आग (Fire on Hills) लगाए जाने से पेड़-पौधों सहित वन्यजीवों को नुकसान पहुंच रहा है. गौरतलब है कि पहाड़ों में भयंकर आग लगने से पौधे और कई औषधी तत्व नष्ट होने के साथ जीव जंतुओं के आश्रय भी जल कर खाक हो गए हैं.
आग की वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा असर
इतना ही नहीं आग की वजह से निकल रही कार्बनडाई ऑक्साइड से लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है. बता दें कि झारखंड में महुआ के फूलों को चुनने के लिए लोग वन में आग लगाकर देते हैं.हालांकि इस आग से वन्यजीव के साथ तमाम तत्व भी नष्ट हो रहे है जिन्हें पहाड़ों में बनने में हजारों वर्ष लग जाते है.
आग को रोकने के लिए सरकार हर साल योजना बनाती है लेकिन अमलीजामा नहीं पहनाती
लोग महुआ की खातिर वन में आग लगा कर प्रकृति के साथ वन्य औषधि तत्व और वन्यजीव को नुकसान पंहुचा रहे है.हालांकि प्रतिवर्ष ऐसे ही समय मे लोगो द्वारा लगाई जाने वाली आग को रोकने के लिए वन विभाग ने कई योजनायें भी बनाई हैं. लेकिन ये योजनाएं सिर्फ कागजी ही नजर आ रही है इन्हें धरातल पर उतराने के लिए कोई कोशिश नजर नहीं आ रही है.
महुआ के फूल चुनने के ले वनों में गिरे पत्तों में आग लगा देते हैं लोग
बता दें कि शाम होते ही महुआ चुनने वाले लोग वनों में गिरे पत्तों में आग लगा देते है ताकि महुआ चुनने वाले लोगो इसे आराम से बिन सकें. यहां बता दे कि झारखंड खासकर संताल परगना के 6 जिले दुमका,देवघर,पाकुड़,जामताड़ा, गोड्डा और साहेबगंज जैसे इलाके पहाड़ो और पर्वतों से घिरे हुए हैं. इन जंगली इलाको में इस समय महुआ के फूल चुनने के लिए लोग खर पतवार को साफ करने के लिए जंगलों में आग लगा देते हैं. जंगलों में लगाई गई ये आग एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंच जाती है और जैव विविधता को नष्ट कर देती है.
क्या है महुआ
महुआ एक फूल है जिसका उपयोग शराब बनाने में किया जाता है.यह अंगूर की तरह नजर आता है जो मीठे होते है.लोग उसे दूध में या फिर पानी मे उबालकर भी खाते हैं या फिर इसे सुखाकर शराब बनाने के लिए उपयोग करते हैं.
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