Jharkhand News: पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भी अब एंट्री हो गई है. दरअसल, ईडी सोमवार को दिनेश गोप से जेल में पूछताछ करेगी. बता दें कि, दिनेश गोप ने कारोबारियों और ठेकेदारों से लेवी वसूल कर अकूत संपत्ति बनाई है. इसको लेकर जांच एजेंसी पूछताछ करेगी कि उसने किन-किन लोगों से लेवी वसूली और उसे कहां-कहां निवेश किया.साथ ही उसने कितनी शेल कंपनियों में कितने पैसे लगाए. दरअसल, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 25 लाख रुपये के इनामी उग्रवादी दिनेश गोप को 21 मई को नेपाल से गिरफ्तार किया था. रांची लाने के बाद एनआईए ने रिमांड पर लेकर उससे लंबी पूछताछ की थी.
इसमें गोप ने बताया था कि, उसने करोड़ों रुपये की लेवी वसूली है. इस राशि को शेल कंपनियों और व्यवसायियों की मदद से खपाया है. वह अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए कुछ व्यवसायियों का सहयोग ले रहा था. वहीं एनआईए को पूछताछ में पता चला था कि, गोप की निगरानी में कई शेल कंपनियां चल रही थीं. इनमें मेसर्स भाव्या इंजीकॉन प्राइवेट लिमिडेट, मेसर्स शिव आदि शक्ति मिनरल्स प्राइवेट लिमिडेट, मेसर्स शक्ति समृद्धि इंफ्रा प्राइवेट लिमिडेट और पलक इंटरप्राइजेज आदि शामिल थीं. गोप की पत्नी शकुंतला देवी अपने सहयोगी सुमंत के साथ मिलकर ये कंपनियां चला रही थीं.
गोप की दूसरी पत्नी भी चलाती थी कंपनी
वहीं इसमें गोप की दूसरी पत्नी गीता भी शामिल थी. गोप ने लेवी के पैसों को वैध बनाने के लिए ही शेल कंपनियां बना रखी थीं. एनआईए ने गोप की पत्नियों के बैंक खाते से 19.93 लाख रुपये जब्त किए थे. जांच में पता चला था कि दो दर्जन से अधिक बैंक खातों में 2.50 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ था. ये खाते शेल कंपनियों और गोप के परिवार के सदस्यों के नाम पर थे. बता दें कि, नोटबंदी के दौरान नवंबर 2016 में दिनेश गोप का सहयोगी पेट्रोल पंप संचालक 25.38 लाख रुपये के पुराने नोट जमा कराने बैंक गया था. पुलिस ने शक के आधार पर उसे पकड़ा और सख्ती से पूछताछ की तो उसने बताया था कि ये पैसे दिनेश गोप के हैं.
2016 में दर्ज हुई थी एफआईआर
इसके बाद रांची के बेड़ो थाने में 10 नवंबर 2016 को एफआईआर दर्ज हुई थी. रांची पुलिस ने नौ जनवरी 2017 को पहली चार्जशीट दायर की थी. इसी केस की जांच के दौरान एनआईए दिनेश गोप तक पहुंची थी. एनआईए ने टेरर फंडिंग के इस केस को 19 जनवरी 2018 को टेकओवर किया था. फिर गोप और उसके सहयोगियों के झारखंड, बंगाल और दिल्ली में कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान 42.79 लाख रुपये कैश, लैपटॉप, मोबाइल और निवेश से संबंधित दस्तावेज मिले थे. इस केस में एनआईए ने 70 लाख रुपये से अधिक की अचल संपत्ति जब्त की थी.