Jharkhand News: झारखंड के लातेहर (Latehar) जिले में एक ऐसा दृश्य दिखा जिसने सरकार के विकास के दावे की पोल खोल कर रख दी. दरअसल, जिले के महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय में आदिम जनजाति परिवार की एक बुजुर्ग महिला अपना पेंशन लेने टोकरी में बैठकर आई. महिला के पति और उसके बेटे ने उसे टोकरी में बिठा कर कंधे पर लाद कर लाए.


सीएम सोरेन ने लिया एक्शन


दरअसल, बुजुर्ग महिला को इस तरह लादकर लाने का कारण गांव में सड़क का निर्माण न होना है. वहीं यह मामला सामने आया तो सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने ट्वीट कर कहा कि, 'कृपया उक्त मामले की जांच कर लालो कारवाईन जी को पेंशन तथा उनके परिवार को अन्य जरूरी योजनाओं से जोड़ते हुए सूचित करें. साथ ही सुनिश्चित करें कि ग्वालखाड़ गांव में कोई मूलभूत योजनाओं के अधिकार से वंचित न रहे.'


दरअसल, बुधवार को आदिम जनजाति की महिला लालो कोरबा को पेंशन के पैसे निकालने के लिए उसके पति देवा कोरबा और बेटा सुंदरलाल कोरबा ने टोकरी में बैठाकर महुआडांड़ लाया थे. हालांकि, बैंक का लिंक फेल होने के कारण महिला को पेंशन भी नहीं मिल पाया. इस वजह से खाली हाथ घर वापस लौटना पड़ा. महिला के पति देवा कोरबा ने बताया कि गांव तक आने जाने का कोई रास्ता नहीं है. लोग पैदल ही गांव तक आते जाते हैं. उसकी पत्नी चलने फिरने में असमर्थ हो गई है. इस कारण पेंशन के पैसे निकालने के लिए उसे टोकरी में बैठा कर लाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि तीन चार महीने में एक बार पेंशन का पैसा निकालने इसी प्रकार महुआडांड़ अपनी पत्नी को लाते हैं. हालांकि, इस बार पैसे नहीं मिलने के कारण उन्हें थोड़ी निराशा भी हुई. क्योंकि एक बार महुआडांड़ आने में पूरा दिन निकल जाता है. 


प्रशासनिक व्यवस्था पर भी उठा सवाल
लातेहार जिले के पूर्व उपायुक्त ने पेंशन को लेकर जिले में एक व्यवस्था लागू की थी. इसके तहत चलने में असमर्थ पेंशनधारियों को उनके घर तक पेंशन की राशि पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी. इससे लाचार पेंशनधारियों को भी सुविधा मिलती थी, लेकिन धीरे-धीरे यह व्यवस्था खत्म हो गई. इस कारण लाचार पेंशनधारियों को भी पेंशन के पैसे निकालने के लिए बैंक या प्रज्ञा केंद्र के चक्कर लगाने पड़ते हैं. शहरी क्षेत्र या वाहन से आने जाने की व्यवस्था वाले गांव में रहने वाले लाभुकों को तो ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता, लेकिन सुदूरवर्ती इलाकों में रहने वाले गरीब ग्रामीणों को पेंशन के पैसे लेना किसी बड़े टेंशन के समान हो जाता है. हालांकि, इस मामले पर महुआडांड़ के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा कि सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में रहने वाले असमर्थ लोगों के पेंशन की राशि उनके घर तक पहुंचे. इसके लिए वे जल्द ही प्रज्ञा केंद्रों को दिशा निर्देश जारी करेंगे. 




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