BJP में शामिल नहीं होने के बाद क्या होगा चंपई सोरेन का अगला कदम? झारखंड पहुंचते ही बताया
Champai Soren News: झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने कहा कि पहले सोचा था कि राजनीति से सन्यास ले लूंगा. अब हमने जनता की सेवा करने का निर्णय लिया है. मैंने, हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की.
Jharkhand Politics News: झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेएमएम-कांग्रेस सरकार को सियासी घमासान चरम पर है. इस बीच झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन दिल्ली से वापस अपने घर सरायकेला खरसावां पहुंच गए हैं. बुधवार को सरायकेला खरसांवा के कच्चा मोड़ पर समर्थकों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया.
जल संसाधन मंत्री चंपई सोरेन ने बीजेपी में जाने की अटकलों के बीच कहा कि झारखंड में नया अध्याय शुरू हो गया है. हम अपने स्टैंड पर आज भी कायम हैं. मेरा मकसद झारखंड की जनता की सेवा करना है. मेरी सोच क्या है, इसकी जानकारी देश के सभी लोगों को है.
'पहले सोचा था सन्यास ले लूंगा'
उन्होंने कहा कि पहले सोचा था कि राजनीति से सन्यास ले लूंगा, लेकिन अब हमने जनता की सेवा करने के लिए नया संगठन बनाने का फैसला लिया है. इस राह में अगर कोई अच्छा दोस्त मिल जाएगा, तो उसके साथ लेकर अपनी मुहिम को आगे बढ़ाएंगे.
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के समर्थक सैकड़ों लोग अपने नेता का घंटों से इंतजार करते रहे थे. चंपई सोरेन के पहुंचते ही उनके कार्यकर्ताओं की खुशी देखने लायक थी. कार्यकर्ताओं ने इस दौरान चंपई सोरेन जिंदाबाद और झारखंड टाइगर जिंदाबाद के नारे भी लगाए.
'हमेशा की जन सरोकार की राजनीति '
दरअसल, 18 अगस्त को चंपई सोरेन ने अपने एस्क पोस्ट में कहा था कि अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक, मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है. प्रदेश के आदिवासियों, मूलवासियों, गरीबों, मजदूरों, छात्रों और पिछड़े तबके के लोगों को उनका अधिकार दिलवाने का प्रयास करता रहा हूं. किसी भी पद पर रहा अथवा नहीं, लेकिन हर पल जनता के लिए उपलब्ध रहा. उन लोगों के मुद्दे उठाता रहा, जिन्होंने झारखंड राज्य के साथ अपने बेहतर भविष्य के सपने देखे थे.
31 जनवरी को एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के बाद इंडिया गठबंधन ने मुझे झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की सेवा करने के लिए चुना. अपने कार्यकाल के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन ( तीन जुलाई) तक मैंने पूरी निष्ठा एवं समर्पण के साथ राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया. इस दौरान हमने जनहित में कई फैसले लिए और हमेशा की तरह, हर किसी के लिए सदैव उपलब्ध रहा.
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