Jharkhand: ‘नौकरी के नाम पर सरकार कर रही नरसंहार’, BJP का कॉन्स्टेबल भर्ती में 36 अभ्यर्थियों की मौत का दावा
Jharkhand News: बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कॉन्स्टेबल भर्ती के फिजिकल टेस्ट के दौरान 36 अभ्यर्थियों की मौत का दावा किया है. उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है.
Jharkhand Latest News: झारखंड एक्साइज कॉन्स्टेबल भर्ती के फिजिकल टेस्ट के दौरान अभ्यर्थियों की मौत को लेकर प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि 11 नहीं बल्कि 36 अभ्यर्थियों की मौत फिजिकल टेस्ट के दौरान हुई है. सरकार आंकड़ा छुपा रही है. नौकरी के नाम पर सरकार नरसंहार कर रही है, मौत बांट रही है. कुप्रबंधन के कारण यह सब हो रहा है. 200 से ऊपर अभ्यर्थी अस्पताल में हैं. 100 से ज्यादा अभ्यर्थी आईसीयू में हैं. न मेडिकल फैसिलिटी और ग्राउंड पर न अन्य व्यवस्थाएं हैं.
प्रतुल शाहदेव ने आगे कहा कि पहले लिखित परीक्षा होनी चाहिए थी, तब दौड़ाया जाना चाहिए था. 583 पदों के लिए छह लाख अभ्यर्थी हैं. भीषण गर्मी और धूप में अभ्यर्थियों को 10 किलोमीटर दौड़ाया जा रहा है. चुनाव से पहले सरकार युवाओं की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है.
आईजी ने 11 अभ्यर्थियों की मौत की थी पुष्टि
बता दें कि आईजी अभियान अमोल वेणुकान्त होमकर ने 11 अभ्यर्थियों की मौत की पुष्टि की थी. उन्होंने कहा कि मौत के कारणों का पता लगाने के लिए यूडी कांड दर्ज किया गया है. अभ्यर्थियों का शारीरिक दक्षता परीक्षा का आयोजन राज्य में कुल 7 केंद्रों पर हो रहा है. प्रत्येक केंद्र पर मेडिकल टीम मौजूद है. पर्याप्त संख्या में दवाइयां एम्बुलेंस है. दौड़ जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए, इसकी कोशिश की जा रही है ताकि गर्मी का कम से कम सामना अभ्यर्थियों को करना पड़े.
‘हेमंत सोरेन बच्चों को नौकरी नहीं मौत दे रहे हैं’
झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी अभ्यर्थियों की मौत पर सवाल खड़े कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार अभ्यर्थियों को दौड़ (शारीरिक परीक्षण) करा रही है, ऐसा नहीं होता है. अभ्यर्थियों को 3 महीने पहले सूचित किया जाना चाहिए कि उन्हें कब दौड़ना है ताकि वे अभ्यास कर सकें. एडमिट कार्ड मिलने के 15 दिन के भीतर ही उन्हें दौड़ना पड़ा है.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मैंने अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल के कुछ बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया कि एक सेंटर में 6000 बच्चों को दौड़ाया जाता है और खड़ा भी किया जाता है. रात 12 बजे से लाइन लगती है और उनका नंबर दोपहर 12 बजे तक आता है. रातभर बच्चे सो नहीं पाते हैं. जब रातभर कोई सोता नहीं तो आप समझ सकते हैं कि क्या हालत होता है. मरांडी ने कहा हेमंत सोरेन बच्चों को नौकरी नहीं मौत दे रहे हैं.
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