Jharkhand Palamu Tiger Reserve: कोरोना का प्रभाव इंसानों के साथ-साथ जानवरों पर भी पड़ा है. कोरोना काल में जब लॉकडाउन (Lockdown) लगा तो झारखंड (Jharkhand) के पलामू टाइगर रिजर्व (Palamu Tiger Reserve) में सैलानियों और स्थानीय लोगों का प्रवेश रोक दिया गया. प्रवेश पर लगी रोक का असर ये हुआ कि यहां जानवरों की आमद बढ़ गई और इस वन्य जीव अभयारण्य में हिरण, चीतल, तेंदुआ, लकड़बग्घा जैसे जानवरों का परिवार बढ़ गया है. खास बात ये है कि, लगभग एक दशक के बाद यहां हिरण की विलुप्तप्राय प्रजाति चौसिंगा की भी आमद हुई है. लॉकडाउन की वजह से लोगों का आवागमन कम हुआ तो जानवरों को ज्यादा सुरक्षित और अनुकूल स्पेस हासिल हुआ और इसी वजह से उत्साहित करने वाले नतीजे सामने आए हैं.
कम संख्या में हैं 4 सींग वाले हिरण
हाल ही में, टाइगर रिजर्व के महुआडांड़ में हिरण की विलुप्तप्राय प्रजाति चौसिंगा के एक परिवार की आमद हुई थी. 4 सींगों वाला ये हिरण देश के सुरक्षित वन प्रक्षेत्रों में बहुत कम संख्या में है. नेपाल की तराई वाले हिस्सों में इस प्रजाति के हिरण जरूर हैं, लेकिन इनकी लगातार घटती संख्या पर वन्य जीव संरक्षण करने वाली संस्थाएं चिंतित रही हैं. चौसिंगा हिरण के 2 दो सींग बड़े और 2 सींग छोटे होते हैं और ये सामान्य प्रजाति के हिरण से ज्यादा खूबसूरत होता है.
बढ़ गई है चीतल की संख्या
बता दें कि, हाल ही में टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर ने बताया था कि, पिछले डेढ़-दो वर्षों में यहां चीतल की संख्या 6 हजार के आसपास पहुंच गई है, जबकि वन्य प्राणियों की गणना के क्रम में 2020 में यहां चीतल की संख्या 4000 के आसपास पाई गई थी. इसके अलावा पूरे क्षेत्र में लगाए गए कैमरों ने बड़ी संख्या में तेंदुआ, लकड़बग्घा के आवागमन को भी कैद किया गया है. कोरोना काल में लोगों की वन क्षेत्र में चहलकदमी थमने से वन्य जीवों के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण हुआ, जिसका असर भी देखने को मिला है.
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