(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
झारखंड के वित्त मंत्री बोले- केंद्र सरकार नहीं कर रही है बकाया राशि का भुगतान, वित्तीय संकट में है राज्य
Jharkhand Politics: झारखंड सरकार की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है. केंद्र सरकार राज्य सरकार का बकाया भुगतान नहीं कर रही है, ये कहना है राज्य के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव का.
Jharkhand Finance Minister Dr Rameshwar Oraon: झारखंड (Jharkhand) के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव (Dr Rameshwar Oraon) ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार राज्य सरकार का बकाया भुगतान नहीं कर रही है जिससे राज्य में वित्तीय संकट (Financial Crisis) पैदा हो गया है. उरांव ने कहा कि, 'झारखंड सरकार (Jharkhand Government) की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है. सरकार कई योजनाओं के लिए राजस्व उत्पन्न करने की कोशिश कर रही है. अगर केंद्र ने हमारे बकाया भुगतान में सहयोग किया होता, तो वित्तीय संकट नहीं होता.'
खाली था खजाना
रामेश्वर उरांव ने कहा कि, 'जब हमारी सरकार बनी थी तब खजाना खाली था, ये राजनीतिक बयान नहीं बल्कि हकीकत है. समय बीतने के साथ, हमने स्रोतों को बढ़ाकर अपने राजस्व संग्रह में वृद्धि की है. आर्थिक स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर है, लेकिन ये अच्छी स्थिति में नहीं है.
When our govt was formed, the state treasury was empty. With time our revenue collection has risen by increasing sources. There wouldn't have been a loss in funds had the Centre cooperated & paid our dues; coal ministry owes Rs 65,000cr: Jharkhand Finance Min Dr Rameshwar Oraon pic.twitter.com/A10w0lFLfC
— ANI (@ANI) December 27, 2021
नहीं मिल रहा है मुआवजा
वित्त मंत्री ने कहा कि, कोयला मंत्रालय ने झारखंड सरकार से करीब 53 हजार एकड़ जमीन ली है. "दुर्भाग्य से, हमें जमीन का कोई मुआवजा नहीं मिल रहा है. जबकि, अन्य राज्यों को उनका बकाया समय पर मिल रहा है. अगर हमें ये मिल जाता है, तो हम आगे कई योजनाएं बना सकते हैं.
केंद्रीय वित्त मंत्री को लिखा था पत्र
बता दें कि, हाल ही में झारखंड के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को पत्र लिखा था. पत्र में कहा गया था कि झारखंड में चल रही केंद्रीय कंपनियों की तरफ से किए गए कोयला खनन के एवज में कंपनसेशन और पानी के मद में 34 हजार 862 करोड़ रुपये बकाया हैं. राज्य की वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए पत्र में कहा गया था कि, ये राशि राज्य को तत्काल मिलनी चाहिए.
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