Jharkhand: पिछले 100 सालों से आग की लपटों में घिरा है ये शहर, खोखली हो चुकी है जमीन
Jharkhand News: झारखंड (Jharkhand) के झरिया (Jharia) में पिछले 100 सालों से जमीन के नीचे आग लगी हुई है. अब तक हुए हादसों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है.
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Jharkhand Underground Fire in Jharia Coal Mines: झारखंड (Jharkhand) के झरिया (Jharia) की भूमिगत कोयला खदानों (Underground Coal Mines) में दशकों से आग धधक रही है. अंदर से खोखली हो चुकी जमीन पर एक बड़ी आबादी आज भी टिकी है. तमाम कोशिशों के बाद भी भूमिगत आग (Fire) पर काबू नहीं पाया जा सका है. यहां पिछले 100 सालों से जमीन के नीचे आग लगी हुई है. ऊपर हजारों लोगों ने आशियाने बनाए हुए हैं. लोगों को मौत के मुहाने से हटाकर सुरक्षित जगहों पर बसाने के प्रयास भी किए गए लेकिन, सफलता नहीं मिली है.
कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
झरिया में जमीन के धंसने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं, अब तक हुए हादसों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है. हालात ये हैं कि यहां सड़क फटने तक की घटनाएं हो चुकी हैं. आजादी से पहले ही ये बात सामने आ गई थी कि अपने गर्भ में कोयले का अथाह भंडार समेटे झरिया की जमीन के नीचे कई हिस्सों में आग धधक रही है. इसके बाद साल-दर-साल ये आग जमीन के ऊपर बसी आबादी के लिए बड़ा खतरा बनती गई. वक्त बीतता गया और आग से खोखली होती जमीन में लोगों के घर जमींदोज होते गए, लेकिन अब तक इस मुश्किल का हल नहीं मिल सका है. यहां रहने वाले लोग घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं, कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
पूरे नहीं हुए लक्ष्य
बता दें कि, केंद्र की मंजूरी के बाद 11 अगस्त 2009 को झरिया के लिए जो मास्टर प्लान लागू हुआ था उसके मुताबिक भूमिगत खदानों में लगी आग को नियंत्रित करने के साथ-साथ 12 साल यानी अगस्त 2021 तक अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए दूसरी जगहों पर आवास बनाकर उन्हें स्थानांतरित कर दिया जाना था, लेकिन अब तक ये दोनों ही लक्ष्य पूरे नहीं हो पाए हैं. 2019 में कराए गए सर्वे में पता चला कि अग्नि और भू-धंसान प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे परिवारों की संख्या बढ़कर 1 लाख 4 हजार हो गई है.
उम्मीद है कि झरिया को नई जिंदगी मिले
बहरहाल, 2009 में लागू हुए मास्टर प्लान की मियाद खत्म हो चुकी है. कुछ महीनों पहले केंद्र की एक टीम ने झरिया की विभिन्न कोयला खदानों का दौरा किया था. इस टीम ने झरिया की बेलगड़िया अलकुसा, लोयाबाद, गोधर का दौरान किया और स्थानीय अधिकारियों के साथ मीटिंग भी की थी. टीम ने अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों की समस्याएं भी सुनी थी. अब उम्मीद की जा रही है कि संशोधित मास्टर आग की लपटों के बीच झुलस रही झरिया को नई जिंदगी मिले.
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