Relief to Jharkhand Former Minister Yogendra Saw: जेल (Jail) से रंगदारी मांगने के आरोप से जुड़े मुकदमे में अदालत ने झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव (Yogendra Saw) को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. इस मामले में इन्फॉर्मर हजारीबाग (Hazaribagh) स्थित जयप्रकाश नारायण सेंट्रल जेल के तत्कालीन जेल सुपरिटेंडेंट डॉ रूपम प्रसाद गवाही देने अदालत नहीं पहुंचे. वो इस मामले के मुख्य गवाह थे. उन्हें गवाही के लिए अदालत ने कई बार समन भेजा, लेकिन वो अदालत नहीं आए. इसका लाभ योगेंद्र साव को मिला और अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया. शनिवार को अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने ये फैसला सुनाया.


रंगदारी मांगने का था आरोप 
योगेंद्र साव पर जेल में रहते हुए मोबाइल का इस्तेमाल कर रंगदारी मांगने का आरोप था. इस मामले को लेकर हजारीबाग सदर थाना में 2017 में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 4 गवाहों को प्रस्तुत किया गया. 


13 मामलों में आ चुका है फैसला 
गौरतलब है कि, इससे पहले एनटीपीसी खनन कार्य बाधित करने के मामले में योगेंद्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिए गए थे. दोनों पर एनटीपीसी के भूमि अधिग्रहण में बाधा डालने का आरोप था. दोनों के खिलाफ हजारीबाग जिले के बड़कागांव थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. अदालत में अभियोजन पक्ष लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर सका था, जिसके बाद दोनों को बरी कर दिया गया था. योगेंद्र साव की पत्नी निर्मला देवी विधायक रह चुकी हैं, दोनों अभी जेल में बंद हैं. जानकारी के मुताबिक योगेंद्र साव पर कुल 27 मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से 13 मामलों में फैसला आ चुका है, शेष मामलों में अभी फैसला आना बाकी है. 


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