Jharkhand: कोयला खदान की अंधेरी सुरंग में 90 घंटे तक फंसे रहे 4 लोग, ऐसे दी मौत को मात
Jharkhand News: बोकारो में कोयले की खुदाई करते समय अचानक चाल धंसने से 4 लोग खदान में फंस गए थे. 4 दिनों तक खदान में जमा गंदा पानी पीकर इन चारों ने खुद को जिंदा रखा और बाहर निकलने में कामयाब हुए.
Jharkhand Bokaro Parvatpur Coal Block: झारखंड (Jharkhand) के बोकारो (Bokaro) जिले में 4 लोग तकरीबन 90 घंटे तक कोयला खदान (Coal Block) की एक ऐसी सुरंग में फंसे रहे, जहां उन्हें ना तो भोजन मयस्सर था और ना ही सूरज की रोशनी. खदान में जमा गंदा पानी पीकर इन चारों ने खुद को जिंदा रखा. इनके पास चार टॉर्च थी, जिसकी रोशनी की मदद से चौथे दिन सोमवार को किसी तरह सुरंग से बाहर निकल आए. ये चारों पिछले 26 नवंबर की सुबह लगभग 9 बजे बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड अंतर्गत बंद पड़ी कोयला खदान के भीतर अवैध तरीके से कोयला निकालने के लिए घुसे थे और खदान की चाल अचानक धंस जाने से अंदर फंस गए थे.
मौत से जीती जंग
तमाम कोशिशों के बावजूद इन चारों का पता नहीं चल पा रहा था. लोगों ने उनके जिंदा लौटने उम्मीदें छोड़ दी थीं, लेकिन सोमवार सुबह जब उनके लौटने की खबर फैली तो इलाके में खुश की लहर दौड़ गई. मौत से जंग जीतकर 90 घंटे के बाद घर लौटे लोगों में लक्ष्मण रजवार, रावण रजवार, भरत सिंह और अनादि सिंह शामिल हैं. ये सभी चंदनकियारी के तिलाटांड़ गांव के रहने वाले हैं.
कोयले की चाल अचानक धंस गई
चंदनकियारी के कई गांवों के सैकड़ों लोग चंदनकियारी के पर्वतपुर में वर्षों से बंद पड़े कोल ब्लॉक में अवैध तरीके से कोयला निकालते हैं. ये कोल ब्लॉक बीसीसीएल का है, लेकिन कई वजहों से यहां कंपनी ने पिछले कई वर्षों से कोयले का खनन बंद रखा है. पूर्व में किए गए खनन की वजह से यहां कई सुरंगें बनी हुई हैं. बीते 26 नवंबर को भी यहां कई लोग कोयला खनन के लिए गए थे. तिलाटांड़ गांव के लक्ष्मण रजवार, रावण रजवार, भरत सिंह एवं अनादि सिंह जिस खदान में घुसे थे, उसके ऊपर के कोयले की चाल अचानक धंस गई.
मौके पर पहुंचे अधिकारी
ग्रामीणों ने शोर मचाया तो स्थानीय पुलिस और बीसीसीएल के अधिकारी मौके पर पहुंचे. अगले दिन यानी 27 नवंबर को बोकारो के उपायुक्त कुलदीप चौधरी और एसपी चंदन झा ने मामले की जांच के आदेश दिए. बीसीसीएल की रेस्क्यू टीम भी बुलाई गई, लेकिन उसने सुरंग की खतरनाक स्थिति को देखते हुए अपने हाथ खड़े कर दिए. तीसरे दिन रविवार 28 नवंबर को एनडीआरएफकी टीम ने यहां पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया, लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाई.
लोगों ने इस बात का किया विरोध
सोमवार को एनडीआरएफ ने ऊपरी सतह की खुदाई करने की योजना बनाई थी. ऑपरेशन शुरू होता, इसके पहले चारों लोग खुद बाहर निकल आए. उनके घर लौटने से पूरे गांव में खुशी की लहर है. ये खबर पाकर चंदनकियारी के विधायक और पूर्व मंत्री अमर कुमार बाउरी भी पहुंचे. चारों की स्वास्थ्य जांच के लिए मेडिकल टीम बुलाई गई, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध की वजह से इस टीम को लौटना पड़ा. दरअसल, उनके परिजनों को आशंका है कि अवैध खनन के आरोप में चारों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई हो सकती है. बहरहाल, चारों सकुशल बताए जा रहे हैं.
मौत की सुरंग से निकले बाहर
मौत की सुरंग से बाहर आए लोगों ने घरवालों को बताया कि कोयले की खुदाई करते समय अचानक चाल धंस गई. सुरंग का मुंह पूरी तरह बंद हो गया. गनीमत रही कि उन्हें चोट नहीं आई. वो किसी तरह वहीं घंटों बैठे रहे. काफी देर बाद उन्होंने बाहर निकलने के लिए रास्ता बनाने की कोशिश की, लेकिन ये संभव नहीं हो पाया. खदान के एक हिस्से में पानी था, जिसे पीकर वो जिंदगी-मौत से लड़ते रहे. उन चारों के पास एक-एक टॉर्च थी. उन्होंने तय किया कि एक समय में सिर्फ एक टॉर्च जलाकर रोशनी के सहारे बाहर निकलने का कोई रास्ता तलाशा जाए. जब तक टॉर्च की बैटरी रही, उसकी रोशनी के सहारे उनकी जिंदगी की उम्मीदें भी बची रहीं. काफी कोशिश के बाद आखिरकार वो सुरंग से निकलने का दूसरा रास्ता तलाशकर बाहर आने में कामयाब रहे और तड़के चार बजे के आसपास घर पहुंचे.
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