(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jharkhand में राज्यसभा चुनाव के बहाने भविष्य की राजनीति साधने में जुटी पार्टियां, जानें सियासी समीकरण
Ranchi News: झारखंड (Jharkhand) में राज्यसभा चुनाव को लेकर सस्पेंस भले ना हो, लेकिन चुनाव में जिन चेहरों को प्रत्याशी के तौर पर आगे किया जा रहा है, उसके जरिए पार्टियां भविष्य का संकेज जरूर दे रही हैं.
Jharkhand Rajya Sabha Election Politics: झारखंड (Jharkhand) में राज्यसभा की 2 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में राजनीतिक पार्टियां भविष्य की राजनीति साधने की कवायद में जुटी हैं. राज्य की विधानसभा का जो मौजूदा संख्या बल है, उसके मुताबिक इन 2 सीटों में से एक पर सत्ताधारी गठबंधन और दूसरी सीट पर प्रमुख विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है. इस हिसाब से जीत-हार को लेकर सस्पेंस भले ना हो, लेकिन चुनाव में जिन चेहरों को प्रत्याशी के तौर पर आगे किया जा रहा है, उसके जरिए पार्टियां आने वाले दिनों की अपनी राजनीति की लाइन-लेंथ का संकेत दे रही हैं.
बीजेपी का सियासी समीकरण
बीजेपी ने आदित्य साहू को राज्यसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाया है. वो लगभग 2 वर्ष से झारखंड प्रदेश बीजेपी के महामंत्री हैं. अब तक चुनाव लड़ने का कोई अनुभव उन्हें नहीं है. पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर एक साथ कई संदेश देने की कोशिश की है. सबसे पहला संदेश ये कि नेतृत्व की निगाह उन साधारण कार्यकतार्ओं पर भी है, जो निष्ठा के साथ लंबे समय से पार्टी का झंडा ढो रहे हैं. किसी नेता-कार्यकर्ता का प्रोफाइल बड़ा ना भी हो तो उसे उसकी निष्ठा के एवज में उच्च पद से नवाजा जा सकता है. दूसरा संदेश ये है कि राज्य के सियासी समीकरण में वैश्य समाज को पार्टी महत्वपूर्ण मानती है. राज्य की 81 में से लगभग 60 विधानसभा सीटों पर वैश्य समाज की खासी आबादी है और हर चुनाव में ये तबका एक प्रभावी फैक्टर होता है. झारखंड बीजेपी में वैश्य समाज का सबसे बड़ा चेहरा पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास माने जाते रहे हैं. साहू उनके बेहद करीबी रहे हैं. माना जा रहा है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने रघुवर दास की पसंद का ख्याल रखा है और इसके जरिए यो बताया गया है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी और सत्ता गंवाने के बावजूद पार्टी में रघुवर दास की अहमियत कायम है.
एकजुट है गठबंधन
सत्तारूढ़ गठबंधन यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद की ओर से चुनाव में साझा प्रत्याशी पेश किया जाएगा, ये तय हो चुका है. कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की रविवार को हुई मुलाकात के बाद ये साफ कर दिया गया है कि गठबंधन के भीतर साझा प्रत्याशी को लेकर जिच नहीं है. बताया जा रहा है कि प्रत्याशी कांग्रेस कोटे का होगा. मंगलवार तक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद साझा प्रत्याशी के नाम का एलान करेंगे. संदेश ये देने की कोशिश हुई है कि गठबंधन पूरी तरह एकजुट है और इसमें सभी घटक दलों के हितों का ख्याल रखते हुए इसे आगे भी बरकरार रखा जाएगा.
जनता दल यूनाइटेड ने चली बड़ी चाल
इस बीच एक अहम राजनीतिक घटनाक्रम में झारखंड प्रदेश जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष और मांडू क्षेत्र के पूर्व विधायक खीरू महतो को बिहार में जदयू ने राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया है. इसका संदेश ये है कि नीतीश कुमार आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति में अपनी पार्टी का दखल बढ़ाएंगे. खीरू महतो बेहद लो प्रोफाइल लीडर हैं, लेकिन वो जिस कुर्मी जाति से आते हैं, उसका झारखंड में बड़ा जनाधार है. झारखंड में डेढ़ दशक पहले तक जदयू एक महत्वपूर्ण राजनीतिक फैक्टर थी, लेकिन पिछले 2 विधानसभा चुनावों में इस पार्टी के किसी भी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने झारखंड में अपनी पार्टी की खोई हुई जमीन को वापस हासिल करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है.
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