झारखंड सरकार ने मध्य एशियाई देश ताजिकिस्तान (Tajikistan) में भारतीय दूतावास (Indian Embassy) को पत्र लिखकर राज्य के प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है. दरअसल, ये लोग पिछले कई महीनों से वहां फंसे हुए हैं. एक अधिकारी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी.
ताजिकिस्तान में फंसे हैं 35 श्रमिक
उन्होंने कहा कि श्रम विभाग के तहत राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष (SMCR) ने पुष्टि की कि राज्य के 35 श्रमिक ताजिकिस्तान में फंसे हुए हैं और वह उनके संपर्क में है. एसएमसीआर के जॉनसन टोपनो ने बताया कि श्रम विभाग की ओर से ताजिकिस्तान में भारतीय दूतावास को एक ई-मेल 15 फरवरी को भेजा गया था, जिसमें राज्य के श्रमिकों की वापसी में तेजी लाने का अनुरोध किया गया था. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही एक पत्र भी भेजा गया है.
श्रमिक पिछले वर्ष गए थे ताजिकिस्तान
नियंत्रण कक्ष के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि श्रमिक पिछले साल अक्टूबर और दिसंबर के बीच ताजिकिस्तान के लिए रवाना हुए थे. उन्होंने कहा कि श्रमिकों का मुख्य मुद्दा यह है कि उन्हें उनका वेतन नहीं मिल रहा है और वे अपने मूल स्थान पर लौटना चाहते हैं. हम उनके दावों का सत्यापन कर रहे हैं.
काम कराकर नहीं दी जा रही है सैलरी
मामले को अधिकारियों के संज्ञान में लाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने बताया कि फंसे हुए मजदूरों ने आरोप लगाया है कि उनके नियोक्ता ने उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि कंपनी ने उन्हें वहां बिजली ट्रांसमिशन लाइनें बिछाने के काम में लगाया था. लेकिन काम कराने के बाद कंपनी सिर्फ जिंदा रहने के लिए खाना दे रही है. उन्हें पैसा बिल्कुल भी नहीं दिया जा रहा है.
इन जिलों के रहने वाले हैं मजदूर
उन्होंने बताया कि ये मजदूर हजारीबाग, बोकारो और गिरिडीह जिलों के रहने वाले हैं. इन लोगों को भारत में काम कर रही फर्म के एजेंटों ने अच्छे वेतन का वादा करके पिछले साल मध्य एशियाई ताजिकिस्तान ले गए थे.
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